कर्नाटक सरकार ने फिर से अपनाया मार्गदर्शक मुद्दा; 14-घंटे की कार्यदिवस विधयक में संशोधन की योजना
जुल॰, 22 2024कर्नाटक सरकार का नया प्रस्ताव
कर्नाटक सरकार ने हाल ही में कर्नाटक शॉप्स एंड कमर्शियल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन लाने का विचार किया है। इस नए प्रस्ताव का उद्देश्य IT क्षेत्र में कार्यदिवस की अवधि को बढ़ाकर 14 घंटे करना है, जो वर्तमान में 10 घंटे है। इस प्रस्तावित संशोधन ने राज्य में एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।
यूनियनों का विरोध
इस प्रस्ताव के विरोध में कर्नाटक राज्य IT/ITes कर्मचारी संघ (KITU) और नवोदित सूचना प्रौद्योगिकी कर्मचारी सीनेट (NITES) सहित कई कर्मचारी यूनियनों ने आवाज उठाई है। KITU के प्रतिनिधियों ने इसे कर्मचारियों के कार्य-जीवन संतुलन के लिए खतरे के रूप में देखा है और अपने सदस्यों को इसके खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित किया है। NITES ने भी इस संशोधन के खिलाफ कठोर रुख अपनाया है और चेतावनी दी है कि अगर सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी देती है तो वे एक राष्ट्रव्यापी हड़ताल की संभावना पर विचार कर सकते हैं।
कार्य-जीवन संतुलन और स्वास्थ्य
प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ तर्क देते हुए, यूनियनों ने कहा है कि 14-घंटे की कार्यदिवस की योजना कर्मचारियों के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। यूनियनों का मानना है कि यह प्रस्ताव अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा निर्धारित अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करता है, जो कर्मचारियों के अधिकारों और उनके कार्य-जीवन संतुलन की रक्षा करते हैं।
ओवरटाइम की समाप्ति
प्रस्तावित संशोधन में ओवरटाइम प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है और इसके स्थान पर 14 घंटे का सामान्य कार्यदिवस स्थापित किया गया है। यूनियनों का कहना है कि ओवरटाइम प्रावधान के बिना, कर्मचारियों का शोषण बढ़ जाएगा और उनके अधिकारों में कटौती होगी।
विभिन्न संगठनों की प्रतिक्रिया
उद्योग संघ जैसे नैसकॉम ने भी इस प्रस्ताव पर चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि वर्तमान 48 घंटे के कार्य सप्ताह ढांचे के भीतर लचीलापन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। नैसकॉम ने सुझाव दिया है कि कार्यदिवस की अवधि में बदलाव करने से पहले सभी संबंधित पक्षों से परामर्श करना आवश्यक है।
सरकारी दृष्टिकोण
मजदूर मंत्री ने इस प्रस्तावित संशोधन पर आपत्ति जताई है और सरकार वर्तमान में IT उद्योग से प्राप्त मांगों का मूल्यांकन कर रही है। यह देखना बाकी है कि क्या सरकार इस विवादास्पद प्रस्ताव को आगे बढ़ाएगी या यूनियनों के विरोध को ध्यान में रखते हुए इसे रद्द करेगी।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, कर्नाटक सरकार का यह प्रस्ताव IT क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। यह देखने की बात है कि सरकार और यूनियनों के बीच बातचीत का क्या नतीजा निकलता है। इस विषय पर आगे की घटनाओं पर नजर बनाए रखना आवश्यक होगा।