लोकसभा स्पीकर पद के लिए पहली बार चुनाव, इंडिया गठबंधन ने के. सुरेश को किया नामित

लोकसभा स्पीकर पद के लिए पहली बार चुनाव, इंडिया गठबंधन ने के. सुरेश को किया नामित जून, 25 2024

लोकसभा स्पीकर के चुनाव में इंडिया गठबंधन की अनोखी पहल

देश के राजनीतिक परिदृश्य में एक नई गाथा लिखते हुए कांग्रेस-नेतृत्व वाला इंडिया विपक्षी गठबंधन ने केरल के वरिष्ठ कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल सुरेश को लोकसभा स्पीकर पद के लिए नामित किया है। उनके इस पद के लिए नामांकन ने राजनीतिक हलचलों को एक नई दिशा दे दी है। सुरेश एक अनुभवी विधायक हैं, जिन्होंने आठ बार चुनाव जीते हैं और दलित समाज का प्रमुख चेहरा माने जाते हैं।

स्वतंत्रता के बाद पहली बार होगा स्पीकर पद का चुनाव

यह पहली बार है जब स्वतंत्रता के बाद लोकसभा स्पीकर पद के लिए चुनाव होना सुनिश्चित हुआ है। स्पीकर का चुनाव 26 जून को निर्धारित किया गया है, और यह भावना है कि चुनावी प्रक्रिया से भारतीय लोकतंत्र को एक नई दिशा मिलेगी। इंडिया गठबंधन की यह पहल उस समय सामने आई जब उन्हों ने स्पीकर पद के लिए सरकार से असहमति जताई।

उप स्पीकर पद के लिए थे सुरेश, लेकिन योजना में बदलाव

उप स्पीकर पद के लिए थे सुरेश, लेकिन योजना में बदलाव

पूर्व में, विपक्ष ने सुरेश को उप स्पीकर पद के लिए नामित करने का निर्णय लिया था, लेकिन सरकार के साथ सहमति नहीं बन पाने के कारण योजना में बदलाव किया गया। विपक्ष और सत्तारूढ़ भाजपा-गठबंधन के बीच बढ़ते विवादों के अंतर्गत, यह तय किया गया कि स्पीकर के पद के लिए सुरेश को नामित किया जाएगा। विपक्ष का यह कदम सरकार और विपक्ष के बीच चल रहे तनाव को भी उजागर करता है।

सरकार की सहमति नहीं मिल सकी

सरकार ने भी एक प्रयास किया कि स्पीकर पद के लिए पूर्व स्पीकर ओम बिरला को ही पुनः नियुक्त किया जा सके और इसके लिए विपक्ष के साथ सहमति बनाने की कोशिश की, लेकिन यह प्रयास विफल रहा। राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की और कहा कि सरकार ने समर्थन जुटाने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया।

क्या रहेगा चुनाव का परिणाम?

क्या रहेगा चुनाव का परिणाम?

स्पीकर चुनाव का परिणाम आने वाले दिनों में देश के राजनीतिक परिदृश्य को किस दिशा में ले जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा। इंडिया गठबंधन के इस साहसिक कदम ने यह साबित किया है कि विपक्ष सत्ता पक्ष के सामने झुकने को तैयार नहीं है। सुरेश का नामांकन अपनी जगह खुद बनाएगा और देश की राजनीति में अधिक समावेशिता और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

प्रीसेट रंग