2011 क्रिकेट विश्व कप: भारत की ऐतिहासिक जीत और खास बातें

2011 क्रिकेट विश्व कप: भारत की ऐतिहासिक जीत और खास बातें
4 अप्रैल 2025 0 टिप्पणि अनुराधा मेहता

2011 क्रिकेट विश्व कप: ऐतिहासिक जीत का सफर

2011 का क्रिकेट विश्व कप भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश में आयोजित किया गया था। इस बार के विश्व कप की खास बात यह थी कि यह तीनों एशियाई देशों में आयोजित हुआ और भारत ने अपनी सरजमीं पर इसे जीतकर एक नया इतिहास रच दिया। यह पहला मौका था जब एक मेज़बान देश ने विश्व कप जीत दिखाई।

भारत और श्रीलंका के बीच फाइनल मैच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया और भारत ने इस मैच को जीतकर खुद को क्रिकेट जगत में एक मज़बूत टीम के रूप में स्थापित किया। पूरे टूर्नामेंट में भारत की जीत में नायक रहे युवराज सिंह, जिन्हें उनके शानदार प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द सीरीज़ का खिताब दिया गया। युुवराज ने कुल 362 रन बनाए और 15 विकेट भी चटकाए।

टूर्नामेंट की मुख्य विशेषताएँ

टूर्नामेंट की मुख्य विशेषताएँ

इस विश्व कप में कुल 14 टीमों ने भाग लिया और इन्हें दो समूहों में बांटा गया था। हर समूह से शीर्ष चार टीमें क्वार्टर फाइनल के लिए आगे बढ़ीं। दिलचस्प बात यह है कि यह पहली बार था जब कोई टीम बिना किसी ऑस्ट्रेलियाई टीम के फाइनल में पहुँची।

टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन श्रीलंका के तिलकरत्ने दिलशान ने बनाए, उन्होंने 500 रनों का शानदार प्रदर्शन किया। वहीं भारत के जहीर खान और पाकिस्तान के शाहिद अफरीदी समान रूप से सबसे ज्यादा विकेट, 21-21 चटकाने में सफल रहे।

विरेंद्र सहवाग ने बांग्लादेश के खिलाफ 175 रन बनाकर सबसे उच्च व्यक्तिगत स्कोर की तारीफ बटोरी और केमार रोच ने नीदरलैंड्स के खिलाफ 6/27 की शानदार गेंदबाज़ी दिखाई।

इस टूर्नामेंट की एक और खास बात ये थी कि भारत-पाकिस्तान के बीच कुछ आपसी विवादों के चलते पाकिस्तान को मेजबान देश से हटा दिया गया था। इसकी वजह थी 2009 में लाहौर हमला, जिसके बाद पाकिस्तान को मेज़बानी से हटा दिया गया।

इस विश्व कप में कुल 49 मैच खेले गए और हर मैच में औसतन 25,098 दर्शक मौजूद रहते थे। भारत की जीत न सिर्फ क्रिकेट मैदान पर एक बड़ी सफलता थी बल्कि इसने देशभर में एक उत्सव का माहौल बना दिया, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।