दिल्ली में पटाखों से दिवाली के बाद एयर क्वालिटी 'गंभीर' श्रेणी में गिरी
नव॰, 1 2024दिल्ली में दिवाली के बाद प्रदूषण की स्थिति
दिवाली के पटाखों की गूंज ने दिल्ली की हवा को अत्यधिक प्रदूषित कर दिया है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का स्तर 520 के ऊपर पहुंच गया है, जो प्रदूषण की अत्यंत गंभीर स्थिति को दर्शाता है। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई जब दिवाली की रात पटाखों की आवाज से समस्त दिल्ली गूंज उठी। हालात इतने खराब हैं कि यह हर व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए एक विकट चुनौती बन चुकी है।
हर वर्ष दिवाली के समय दिल्ली में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ जाता है, लेकिन इस बार महामारी के बीच इतनी बड़े स्तर पर प्रदूषण लोगों के लिए और भी खतरनाक है। पटाखों के धुएं ने वायरस के प्रसार को और बढ़ा दिया है, साथ ही कमजोर फेफड़ों वाले मरीजों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है।
एयर क्वालिटी इंडेक्स का महत्व
AQI की गणना पीएम 2.5 के स्तर के आधार पर होती है, जिसका घटना-दर महीने बदलती रहती है। पीएम 2.5 ऐसे छोटे कण होते हैं जो सीधे हमारे फेफड़ों में जाकर सांस लेने की प्रणाली को बाधित करते हैं। WHO ने इसको ले कर अमेरिका और अन्य देशों के मुकाबले कठोर मानक निर्धारित किए हैं, लेकिन दिल्ली में यह स्तरें कई गुना ज्यादा हो गए हैं।
दिल्ली में हर साल दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है लेकिन इस बार स्थिति ने गंभीर मोड़ ले लिया है। अल्पायु और वृद्ध तथा अन्य संवेदनशील समूह इस प्रदूषण के कारण सीधी चपेट में आ सकते हैं। प्रदूषण के कारण भारी संख्या में लोगों में श्वास से संबंधी समस्याएँ उभर रही हैं, और यह कुछ बीमारियों के उत्पत्ति का कारण भी बन सकता है।
सरकार और विपक्ष की प्रतिक्रियाएं
दिल्ली सरकार ने पटाखों की बढ़ती समस्या को देखते हुए पहले ही से प्रतिबंध लगा दिया था। तथापि, कई स्थानों पर लोगों ने इस बैन को नजरअंदाज कर जमकर पटाखे फोड़े। इसने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे लोगों को उकसाते हैं कि वे पटाखे फोड़ें। विपक्ष ने इसके विपरीत बयान दिया कि वर्तमान सरकार के पास प्रदूषण पर रोकथाम के लिए कोई ठोस योजना नहीं है।
बहस का एक दूसरा पहलू यह भी है कि पटाखों पर रोक को धार्मिक भावना पर चोट माना जाता है। कुछ लोग यह मानते हैं कि यह रोक केवल हिंदू त्योहारों को निशाना बनाती है, जबकि अन्य समुदायों के त्योहारों पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाता। इस वाक्य युद्ध ने प्रदूषण के असल मुद्दे से लोगों का ध्यान भटका दिया है।
यह साफ है कि प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए एक सटीक और समय पर लागू होने वाली योजना की आवश्यकता है। सरकार को चाहिए कि इस सिलसिले में सहयोगियों के साथ मिलकर एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाए ताकि दिल्ली की हवा फिर से सांस लेने योग्य बन सके।
आम जनता की भागीदारी
दिल्ली में प्रदूषण को कम करने में जनता की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। जिस स्तर पर यह हादसा हो रहा है, उसके लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। हर व्यक्ति को यह समझना होगा कि प्रदूषण कैसे उनकी सेहत को प्रभावित कर सकता है और इसके प्रति उचित कदम उठाने होंगे। पटाखों का स्वैच्छिक त्याग जैसे कदम समाज को जागरुक कर सकते हैं।
इसके अलावा, वाहन उपयोग को सीमित करना और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना जैसे उपाय भी अपनाए जा सकते हैं। न केवल सरकार, बल्कि आम आदमी को भी व्यक्तिगत स्तर पर इस समस्या के समाधान की और आगे आना होगा। पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारियों को समझना और उनका पालन करना वक्त की जरूरत है।
यह समय है जब हम अपनी जिम्मेदारी और समझदारी से इस प्रदूषण के संकट का सामना करें और भविष्य में ऐसी समस्याओं से दूर रहें। दिल्ली में पर्यावरण को सुधारने की दिशा में उठाए हुए एक छोटा कदम भी एक बड़ा बदलाव ला सकता है। हमें धीरे-धीरे अपने आदतों में परिवर्तन लाना होगा ताकि हमारी अगली पीढ़ी को स्वच्छ वातावरण मिल सके।