दिल्ली में पटाखों से दिवाली के बाद एयर क्वालिटी 'गंभीर' श्रेणी में गिरी

दिल्ली में पटाखों से दिवाली के बाद एयर क्वालिटी 'गंभीर' श्रेणी में गिरी
1 नवंबर 2024 13 टिप्पणि Kaushal Badgujar

दिल्ली में दिवाली के बाद प्रदूषण की स्थिति

दिवाली के पटाखों की गूंज ने दिल्ली की हवा को अत्यधिक प्रदूषित कर दिया है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का स्तर 520 के ऊपर पहुंच गया है, जो प्रदूषण की अत्यंत गंभीर स्थिति को दर्शाता है। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई जब दिवाली की रात पटाखों की आवाज से समस्त दिल्ली गूंज उठी। हालात इतने खराब हैं कि यह हर व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए एक विकट चुनौती बन चुकी है।

हर वर्ष दिवाली के समय दिल्ली में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ जाता है, लेकिन इस बार महामारी के बीच इतनी बड़े स्तर पर प्रदूषण लोगों के लिए और भी खतरनाक है। पटाखों के धुएं ने वायरस के प्रसार को और बढ़ा दिया है, साथ ही कमजोर फेफड़ों वाले मरीजों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है।

एयर क्वालिटी इंडेक्स का महत्व

AQI की गणना पीएम 2.5 के स्तर के आधार पर होती है, जिसका घटना-दर महीने बदलती रहती है। पीएम 2.5 ऐसे छोटे कण होते हैं जो सीधे हमारे फेफड़ों में जाकर सांस लेने की प्रणाली को बाधित करते हैं। WHO ने इसको ले कर अमेरिका और अन्य देशों के मुकाबले कठोर मानक निर्धारित किए हैं, लेकिन दिल्ली में यह स्तरें कई गुना ज्यादा हो गए हैं।

दिल्ली में हर साल दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है लेकिन इस बार स्थिति ने गंभीर मोड़ ले लिया है। अल्पायु और वृद्ध तथा अन्य संवेदनशील समूह इस प्रदूषण के कारण सीधी चपेट में आ सकते हैं। प्रदूषण के कारण भारी संख्या में लोगों में श्वास से संबंधी समस्याएँ उभर रही हैं, और यह कुछ बीमारियों के उत्पत्ति का कारण भी बन सकता है।

सरकार और विपक्ष की प्रतिक्रियाएं

दिल्ली सरकार ने पटाखों की बढ़ती समस्या को देखते हुए पहले ही से प्रतिबंध लगा दिया था। तथापि, कई स्थानों पर लोगों ने इस बैन को नजरअंदाज कर जमकर पटाखे फोड़े। इसने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे लोगों को उकसाते हैं कि वे पटाखे फोड़ें। विपक्ष ने इसके विपरीत बयान दिया कि वर्तमान सरकार के पास प्रदूषण पर रोकथाम के लिए कोई ठोस योजना नहीं है।

बहस का एक दूसरा पहलू यह भी है कि पटाखों पर रोक को धार्मिक भावना पर चोट माना जाता है। कुछ लोग यह मानते हैं कि यह रोक केवल हिंदू त्योहारों को निशाना बनाती है, जबकि अन्य समुदायों के त्योहारों पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाता। इस वाक्य युद्ध ने प्रदूषण के असल मुद्दे से लोगों का ध्यान भटका दिया है।

यह साफ है कि प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए एक सटीक और समय पर लागू होने वाली योजना की आवश्यकता है। सरकार को चाहिए कि इस सिलसिले में सहयोगियों के साथ मिलकर एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाए ताकि दिल्ली की हवा फिर से सांस लेने योग्य बन सके।

आम जनता की भागीदारी

दिल्ली में प्रदूषण को कम करने में जनता की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। जिस स्तर पर यह हादसा हो रहा है, उसके लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। हर व्यक्ति को यह समझना होगा कि प्रदूषण कैसे उनकी सेहत को प्रभावित कर सकता है और इसके प्रति उचित कदम उठाने होंगे। पटाखों का स्वैच्छिक त्याग जैसे कदम समाज को जागरुक कर सकते हैं।

इसके अलावा, वाहन उपयोग को सीमित करना और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना जैसे उपाय भी अपनाए जा सकते हैं। न केवल सरकार, बल्कि आम आदमी को भी व्यक्तिगत स्तर पर इस समस्या के समाधान की और आगे आना होगा। पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारियों को समझना और उनका पालन करना वक्त की जरूरत है।

यह समय है जब हम अपनी जिम्मेदारी और समझदारी से इस प्रदूषण के संकट का सामना करें और भविष्य में ऐसी समस्याओं से दूर रहें। दिल्ली में पर्यावरण को सुधारने की दिशा में उठाए हुए एक छोटा कदम भी एक बड़ा बदलाव ला सकता है। हमें धीरे-धीरे अपने आदतों में परिवर्तन लाना होगा ताकि हमारी अगली पीढ़ी को स्वच्छ वातावरण मिल सके।

13 टिप्पणि

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    Antara Anandita

    नवंबर 1, 2024 AT 22:47

    PM2.5 के स्तर में इतनी उछाल देखकर लगता है कि हम सिर्फ त्योहार मना रहे हैं न कि जी रहे हैं। हर साल यही चक्र दोहराया जा रहा है और हर साल हम इसे 'अस्थायी' बता देते हैं। लेकिन अस्थायी क्या होता है जब यह आपके बच्चे की सांस लेने में दिक्कत पैदा कर दे?

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    Gaurav Singh

    नवंबर 2, 2024 AT 21:51

    सरकार को रोकना है तो पहले बिजली के तारों को नियंत्रित करो फिर पटाखे पर बैन लगाओ यार ये बातें बस लोगों को भ्रमित करने के लिए हैं जबकि दिल्ली में 70% प्रदूषण वाहनों और इंडस्ट्री से आ रहा है और हम सब पटाखों को गुनहगार बना रहे हैं

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    Priyanshu Patel

    नवंबर 4, 2024 AT 14:45

    मैंने इस साल पटाखे नहीं फोड़े और अपने बच्चे के लिए रंगों की एक छोटी सी कला की नई परंपरा शुरू की है। बच्चों के लिए दिवाली अब रंगों का त्योहार है न कि धुएं का। दिल्ली के लोगों ने अगर थोड़ा भी बदलाव कर दिया तो हवा बदल जाएगी 🌿

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    ashish bhilawekar

    नवंबर 5, 2024 AT 01:43

    ये पटाखे फोड़ने वाले लोग अपने दिमाग के अंदर बैठे हैं और दुनिया को बाहर से जला रहे हैं भाई ये सब बस एक नशा है जिसे त्योहार का नाम दे दिया गया है अगर तुम्हारा फेफड़ा बंद हो जाए तो क्या तुम अभी भी बोलोगे कि ये दिवाली है

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    Vishnu Nair

    नवंबर 6, 2024 AT 21:11

    लोगों को ये नहीं पता कि PM2.5 के साथ जुड़े बहुत सारे नैनोपार्टिकल्स जो अब तक के स्टडीज में दिखाया गया है कि वो ब्रेन ब्लड बैरियर को पार कर सकते हैं और ये न्यूरोइन्फ्लेमेशन को ट्रिगर करते हैं जिसका असर लंबे समय तक डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियों के रूप में दिखता है तो ये सिर्फ सांस लेने की समस्या नहीं है ये एक न्यूरोलॉजिकल टाइम बॉम्ब है

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    Kamal Singh

    नवंबर 7, 2024 AT 19:44

    हम सब अपने घरों में एयर प्यूरिफायर लगाकर खुश हो रहे हैं लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि वो लोग जिनके पास ये खरीदने का पैसा नहीं है वो क्या करेंगे? हमें बस अपनी आदतें बदलनी हैं और दूसरों के लिए भी सोचना है। एक दिवाली बिना पटाखों के भी बहुत खुशनुमा हो सकती है अगर हम इसे अपने तरीके से जीएं

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    Jasmeet Johal

    नवंबर 9, 2024 AT 00:43

    पटाखे बैन करना बेकार है लोगों को अपनी आदतों से नहीं छुड़ाया जा सकता और अगर ये दिवाली नहीं तो क्या दिल्ली की हवा साफ हो जाएगी बस दिमाग बंद कर दो

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    Abdul Kareem

    नवंबर 9, 2024 AT 17:38

    मैंने पिछले साल दिवाली पर बाहर निकलने से इनकार कर दिया था और घर पर दीये जलाए। ये बदलाव छोटा लगा लेकिन मुझे लगता है कि ऐसे छोटे कदमों से ही बदलाव शुरू होता है। दिल्ली के लोगों को बस थोड़ी सी सोच की जरूरत है

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    Namrata Kaur

    नवंबर 11, 2024 AT 12:12

    पटाखे नहीं फोड़ो बस।

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    indra maley

    नवंबर 13, 2024 AT 00:21

    हम त्योहार को बाहरी चीजों से जोड़ देते हैं जबकि असली दिवाली तो अंदर की रोशनी है। जब हम बाहर के धुएं को अपनी आत्मा की रोशनी का प्रतीक समझने लगे तो शायद हम अपने आप को बचा पाएंगे

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    Kiran M S

    नवंबर 14, 2024 AT 20:39

    ये सब एक जनतांत्रिक भ्रम है कि हम लोग अपनी आजादी के नाम पर वातावरण को नष्ट कर रहे हैं। यहाँ कोई भी नहीं समझता कि एक बुद्धिमान समाज वही है जो अपनी आदतों को बदल ले ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ जी सकें न कि बस बाहर के आवाजों को सुनकर उत्साहित हों

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    Paresh Patel

    नवंबर 16, 2024 AT 07:05

    मैं जानता हूँ कि ये बदलाव आसान नहीं है लेकिन एक दिन बिना पटाखे की दिवाली मनाना भी बहुत खूबसूरत हो सकता है। अगर हम सब एक साथ शुरुआत करें तो ये दिल्ली फिर से हरा-भरा हो जाएगा। आप भी आज से शुरुआत कर दीजिए

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    anushka kathuria

    नवंबर 17, 2024 AT 23:50

    प्रदूषण के आंकड़ों को देखकर लगता है कि हम जीवन के साथ खेल रहे हैं। यह एक वैज्ञानिक समस्या है जिसे राजनीतिक बहसों में नहीं बदलना चाहिए। हमें डेटा पर आधारित नीतियाँ बनानी होंगी और उन्हें लागू करना होगा। यह एक जिम्मेदारी है न कि एक त्योहार।

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