ग्राहम थॉर्प का निधन: पूर्व इंग्लैंड बल्लेबाज के खेल और कोचिंग करियर को श्रद्धांजलि

ग्राहम थॉर्प का निधन: पूर्व इंग्लैंड बल्लेबाज के खेल और कोचिंग करियर को श्रद्धांजलि
6 अगस्त 2024 12 टिप्पणि Kaushal Badgujar

ग्राहम थॉर्प का निधन: एक महान बल्लेबाज का सफर

पूर्व इंग्लैंड क्रिकेटर ग्राहम थॉर्प का 55 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। इस दुखद खबर की पुष्टि इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने की है। थॉर्प क्रिकेट जगत में एक प्रतिष्ठित नाम थे, और उनकी बल्लेबाजी शैली को हमेशा याद किया जाएगा। थॉर्प ने अपने करियर में असाधारण प्रदर्शन किए और कई यादगार पारियां खेलीं।

वैश्विक क्रिकेट करियर

ग्राहम थॉर्प ने इंग्लैंड के लिए 100 टेस्ट मैच खेले और 6,744 रन बनाए। उनके नाम 16 शतक और अनेकों अर्धशतक भी हैं। वनडे क्रिकेट में भी उन्होंने बेहद सफलतापूर्वक 82 मैच खेले और 2,380 रन बनाए। थॉर्प की बल्लेबाजी में उनकी तकनीक और धैर्य का समावेश देखा जा सकता था। वे हमेशा एक संतुलित और शांति से बल्लेबाजी करने वाले खिलाड़ी रहे और उनका टेस्ट औसत 44.66 था।

यादगार पारियां

थॉर्प ने कई महत्वपूर्ण पारियां खेलीं, जिनमें सबसे प्रमुख थी 2000 में कराची के खिलाफ पाकिस्तान के खिलाफ खेली गई नाबाद 64 रनों की पारी। यह पारी इंग्लैंड के लिए एक महत्वपूर्ण जीत साबित हुई थी। उनके धैर्य और संयम ने उन्हें एक भरोसेमंद बल्लेबाज बनाया।

कोचिंग करियर

खिलाड़ी के रूप में अपने करियर के बाद, ग्राहम थॉर्प ने कोचिंग की ओर रुख किया। उन्होंने इंग्लैंड की टीम के बल्लेबाजी कोच और सहायक कोच के रूप में काम किया। क्रिस सिल्वरवुड के अंतर्गत, उन्होंने युवा खिलाड़ियों को गाइड किया और उनके खेल में सुधार किया। उनकी कोचिंग के दौरान, इंग्लैंड की टीम ने कई महत्वपूर्ण जीत हासिल की।

व्यक्तिगत जीवन और उत्तरदायित्व

ग्राहम थॉर्प का व्यक्तिगत जीवन भी संघर्षों से भरा था। वे अपने परिवार के साथ हमेशा जुड़े रहे। उनके निधन के बाद, ईसीबी ने उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। उनकी पत्नी अमांडा, बच्चे, पिता ज्यॉफ और सभी प्रियजनों का दुःख इस समय साझा किया गया है।

ग्राहम थॉर्प का योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। उनके खेल के प्रति समर्पण और कोचिंग में उनकी भूमिका को कभी भूला नहीं जा सकेगा। आज क्रिकेट जगत एक महान खिलाडी को खो चुका है।

12 टिप्पणि

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    Raghunath Daphale

    अगस्त 7, 2024 AT 19:07
    बस ये देखो लोग कितने रोते हैं जब कोई बड़ा खिलाड़ी चला जाता है... पर जब वो खेल रहा था तो किसी ने उसकी बात नहीं सुनी 😒💔
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    Renu Madasseri

    अगस्त 7, 2024 AT 23:36
    ग्राहम थॉर्प ने जिस तरह से बल्लेबाजी की, वो एक आर्टिस्ट की तरह थी। उनकी शांति और धैर्य ने मुझे भी सिखाया कि जीवन में भी धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहिए। 🙏❤️
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    Aniket Jadhav

    अगस्त 9, 2024 AT 02:25
    यार उनकी बल्लेबाजी देखने के बाद मैंने अपनी बल्लेबाजी बदल ली... अब मैं भी धीरे खेलता हूँ 😅
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    Anoop Joseph

    अगस्त 11, 2024 AT 01:27
    उनका निधन बहुत दुखद है। श्रद्धांजलि।
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    Kajal Mathur

    अगस्त 11, 2024 AT 15:31
    मुझे लगता है कि आधुनिक क्रिकेट जगत में ऐसे खिलाड़ियों की कमी है, जो टेस्ट क्रिकेट को वास्तविक रूप से समझते हों। थॉर्प एक ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने खेल की आत्मा को बचाया।
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    rudraksh vashist

    अगस्त 12, 2024 AT 02:19
    मैंने उनकी 2000 की पारी देखी थी... वो दिन मेरे लिए अनमोल था। अब उनकी यादों के साथ हमेशा रहूंगा।
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    Archana Dhyani

    अगस्त 12, 2024 AT 13:49
    क्या आपने कभी सोचा है कि आज के खिलाड़ी कितने अहंकारी हो गए हैं? थॉर्प के जमाने में खिलाड़ी खेलते थे, न कि सोशल मीडिया पर पोस्ट करते थे। उनकी सादगी और समर्पण की कोई तुलना नहीं है। आज के बच्चे तो नोटबुक में भी अपना नाम लिख देते हैं जब भी छह रन बनाते हैं।
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    Guru Singh

    अगस्त 13, 2024 AT 14:31
    थॉर्प के कोचिंग के दौरान इंग्लैंड के युवा खिलाड़ियों को बल्लेबाजी की बुनियादी बातें सिखाई गईं। उनकी टेक्निकल समझ अद्भुत थी। उनके बिना आज के इंग्लिश बल्लेबाज अधूरे होते।
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    Sahaj Meet

    अगस्त 14, 2024 AT 19:28
    भारत में भी तो हमारे खिलाड़ियों को ऐसे कोच चाहिए जो बस रन नहीं, बल्कि खेल का अर्थ सिखाएं। थॉर्प ने वो किया। श्रद्धांजलि। 🙏
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    Madhav Garg

    अगस्त 15, 2024 AT 13:03
    थॉर्प के टेस्ट औसत 44.66 थे। ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। आज के खिलाड़ियों के औसत ज्यादा हैं, पर उनकी टेक्निक और धैर्य की तुलना नहीं हो सकती।
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    Sumeer Sodhi

    अगस्त 16, 2024 AT 05:57
    अरे यार, इतना रोना क्यों? उन्होंने तो अपना काम कर लिया। अब तो नए लोग आ रहे हैं। और जो लोग अब भी टेस्ट क्रिकेट को बड़ा मानते हैं, वो बस पुराने जमाने के फैन हैं। टी20 आ गया है, बस बात बंद करो।
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    Vinay Dahiya

    अगस्त 17, 2024 AT 21:22
    थॉर्प... उनकी बल्लेबाजी? बस धीमी... बहुत धीमी... और फिर भी वो रन बना रहे थे! आज के खिलाड़ी तो बल्ला उठाते ही छक्का मारने की कोशिश करते हैं... और फिर आउट हो जाते हैं! ये खेल का अपमान है! थॉर्प के जमाने में तो बल्लेबाज बैट को जमीन पर रखते थे... और फिर धीरे-धीरे... धीरे-धीरे... रन बनाते थे... आज के खिलाड़ी तो बल्ला उठाते ही गेंद की ओर भाग जाते हैं! ये खेल क्या हो गया है?!!!

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