जमानत पर रिहा इंजीनियर राशिद ने किया मोदी के 'नया कश्मीर' के खिलाफ लड़ाई का ऐलान

जमानत पर रिहा इंजीनियर राशिद ने किया मोदी के 'नया कश्मीर' के खिलाफ लड़ाई का ऐलान
12 सितंबर 2024 20 टिप्पणि Kaushal Badgujar

रिहाई और राजनीतिक अभियान

इंजीनियर राशिद, जो बारामुला के सांसद और अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) के प्रमुख हैं, हाल ही में तिहाड़ जेल से अंतरिम जमानत पर रिहा हुए। उन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत 2019 में आतंक वित्तपोषण मामले में गिरफ्तार किया गया था। व्हेल जमानत की शर्तों के तहत उन्हें ₹2 लाख का बंधन और एक जमानतदार जमा करना पड़ा। साथ ही, उन पर मौजूदा आतंक वित्तपोषण मामले पर मीडिया से चर्चा करने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

मोदी के 'नया कश्मीर' के खिलाफ लड़ाई

रिहाई के बाद राशिद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'नया कश्मीर' के खिलाफ अपनी राजनीतिक लड़ाई जारी रखने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मोदी के द्वारा 5 अगस्त 2019 को जम्मु और कश्मीर के विशेष दर्जा समाप्त करने का निर्णय असफल रहा है। राशिद ने आरोप लगाया कि भाजपा उनके खिलाफ दबाव तकनीकों का उपयोग कर रही है। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को पराजित करने का घटनाक्रम भी बताया।

अन्य राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

राशिद की अंतरिम जमानत पर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की कड़ी प्रतिक्रिया भी सामने आई। राष्ट्रीय सम्मेलन (NC) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने इस जमानत को वोट प्राप्त करने का साधन बताते हुए आलोचना की। वहीं अन्य राजनीतिक नेताओं ने विभिन्न प्रतिक्रिया व्यक्त की। गुलाम नबी आज़ाद ने इसे न्याय की दिशा में एक कदम बताया और महबूबा मुफ्ती ने राशिद पर बीजेपी का नामदार होने का आरोप लगाया।

आगामी विधानसभा चुनाव

जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव, जो 18 सितंबर से शुरू होने वाले हैं, यहाँ के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। अनिल किशोर की जमानत अर्जी पर फैसला 5 अक्टूबर को होना बाकी है, लेकिन इससे पहले उन्हें 2 अक्टूबर तक चुनाव प्रचार करने का मौका दिया गया है।

20 टिप्पणि

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    ashish bhilawekar

    सितंबर 13, 2024 AT 02:14
    ये आदमी तो जेल से निकला और सीधे ट्विटर पर ट्रेंड कर गया। बस एक इंजीनियर है और पूरे देश की राजनीति का फैसला कर रहा है। जमानत पर निकला है, नहीं तो तिहाड़ में घूंट पी रहा होता। अब बात कर रहा है 'नया कश्मीर' के खिलाफ। बस एक बार बताओ, जब तुम जेल में थे तो कश्मीर के लोगों को क्या मिला?
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    Vishnu Nair

    सितंबर 14, 2024 AT 06:31
    ये सब एक डिज़ाइन्ड एंट्री है जो नेटवर्क ऑफ़ इंफ्लुएंसर्स और फेक न्यूज़ एजेंसियों के बीच एक सिम्युलेशन है। एनआईए का मामला अभी भी ओपन है, लेकिन उसके खिलाफ एक न्यूज़ फ्रेमिंग बनाई गई है जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा के बजाय एथनिक राइट्स का नाटक चल रहा है। ये फैसला न्याय का नहीं, बल्कि एक बड़े इलेक्टोरल एल्गोरिथम का प्रोडक्ट है। अगर आप डेटा ट्रेंड्स देखें, तो देखेंगे कि इसके बाद से कश्मीर से जुड़े कंटेंट में 300% इंगेजमेंट बढ़ा है। ये नहीं है कि राशिद लड़ रहा है, ये है कि उसका नाम एक टूल है।
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    Kamal Singh

    सितंबर 15, 2024 AT 13:34
    मैं तो सोचता हूँ कि इंजीनियर राशिद जैसे लोगों को जेल में डालने के बजाय उनके साथ बातचीत करनी चाहिए। वो एक आम आदमी हैं जिन्होंने अपने इलाके के लिए लड़ाई लड़ी है। अगर हम उनकी आवाज़ दबा देंगे, तो वो बस और ज्यादा तीखी हो जाएगी। जमानत पर निकलना एक अच्छा कदम है, लेकिन अब बातचीत की जरूरत है। चुनाव तो होंगे ही, लेकिन उनसे पहले एक बातचीत का मौका दो। लोगों को डराकर नहीं, समझाकर ही राजनीति चलती है।
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    Jasmeet Johal

    सितंबर 15, 2024 AT 16:48
    जमानत दे दी गई तो अब लड़ाई शुरू हो गई और जो लोग जेल में थे वो बहुत बड़े हो गए
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    Shreyas Wagh

    सितंबर 17, 2024 AT 02:11
    राजनीति एक दर्पण है। जो देखता है वो अपना चेहरा देखता है। राशिद जैसे आदमी को जेल में रखना और फिर जमानत पर छोड़ना एक अजीब नाटक है। ये न्याय नहीं, ये नाटक है। और जिसने इस नाटक को लिखा है, वो खुद नाटक का ही नायक है।
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    Pinkesh Patel

    सितंबर 18, 2024 AT 07:48
    ये लोग तो जेल में भी ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे हैं यार। अब जमानत पर आ गए तो अब बस लोकसभा के लिए तैयार हो रहे हैं। बस इतना बताओ कि जब तुम जेल में थे तो तुम्हारे दोस्तों ने कश्मीर में क्या किया? बस बात बना रहे हो।
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    Abdul Kareem

    सितंबर 19, 2024 AT 08:14
    मुझे लगता है कि जमानत का फैसला कानूनी तौर पर सही था। लेकिन राजनीतिक तौर पर इसका असर क्या होगा? क्या ये वास्तव में लोगों को एकजुट करेगा या फिर और बांट देगा? ये एक बड़ा सवाल है।
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    Namrata Kaur

    सितंबर 19, 2024 AT 19:08
    ये लड़ाई बहुत पुरानी है। अब तो बस चुनाव हो रहे हैं। बात करने की जगह अब काम करने की जरूरत है।
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    indra maley

    सितंबर 21, 2024 AT 12:17
    क्या कोई सोचता है कि जब एक आदमी जेल में होता है तो उसकी आवाज़ बंद हो जाती है। लेकिन जब वो बाहर आता है तो उसकी आवाज़ बहुत ज़ोर से गूंजती है। शायद ये न्याय है। शायद ये बदलाव है। शायद ये बस एक चक्र है।
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    Kiran M S

    सितंबर 23, 2024 AT 07:42
    अगर तुम जेल में बैठे हो और तुम्हारी आवाज़ बंद हो गई है, तो जब तुम बाहर आते हो तो तुम्हारी आवाज़ बहुत तेज़ हो जाती है। लेकिन क्या ये आवाज़ वाकई लोगों के दिलों में उतर रही है? या बस एक बड़ा शो है जिसे मीडिया बेच रहा है? ये सवाल तो बहुत गहरा है।
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    Paresh Patel

    सितंबर 24, 2024 AT 19:16
    हर किसी को एक मौका देना चाहिए। अगर राशिद ने कुछ गलत किया है तो उसके खिलाफ कानून चल रहा है। लेकिन अगर वो अब बाहर आ गया है तो उसे एक नया शुरुआत का मौका देना चाहिए। ये देश बहुत बड़ा है, और हर आदमी को अपनी बात कहने का हक है।
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    anushka kathuria

    सितंबर 26, 2024 AT 15:08
    इस घटना का विश्लेषण करने के लिए विधानसभा चुनाव के फ्रेमवर्क को समझना आवश्यक है। जमानत का निर्णय न्यायिक अधिकारियों के विवेक पर आधारित है, और राजनीतिक अभियान एक अलग गणितीय प्रक्रिया है।
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    Noushad M.P

    सितंबर 28, 2024 AT 04:56
    अब जेल से निकल कर लोकसभा के लिए तैयार हो रहा है। ये लोग तो जेल में भी चुनाव की तैयारी कर रहे होते हैं। बस इतना बताओ कि जब तुम जेल में थे तो तुम्हारे लोगों ने क्या किया? बस बात बना रहे हो।
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    Sanjay Singhania

    सितंबर 28, 2024 AT 16:00
    राशिद के जेल में रहने का एक फ्रेम था और अब जब वो बाहर है तो उसका फ्रेम बदल गया। अब वो नेता बन गया। लेकिन ये फ्रेम बदलाव वास्तविकता का बदलाव है या बस एक बड़ा ऑपरेशन है? क्या ये न्याय है या बस एक टेक्नोलॉजी है?
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    Raghunath Daphale

    सितंबर 29, 2024 AT 21:51
    अरे यार ये तो बस एक नाटक है। जेल में बैठा था तो बड़ा बन गया। अब बाहर आया तो बहुत बड़ा बन गया। लोगों को डराने के लिए ये सब चल रहा है। और तुम लोग इस पर चर्चा कर रहे हो। बस एक बात करो, जब तुम जेल में थे तो कश्मीर में क्या हुआ? बस बात बना रहे हो। 😒
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    Renu Madasseri

    अक्तूबर 1, 2024 AT 03:24
    मुझे लगता है कि हर इंसान को एक मौका देना चाहिए। अगर राशिद ने कुछ गलत किया है तो कानून उसके खिलाफ है। लेकिन अगर वो अब बाहर है तो उसे एक नया शुरुआत का मौका देना चाहिए। ये देश बहुत बड़ा है, और हर आदमी को अपनी बात कहने का हक है।
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    Aniket Jadhav

    अक्तूबर 2, 2024 AT 04:35
    मैं तो बस यही सोचता हूँ कि अगर एक आदमी जेल से बाहर आ गया है तो उसे बात करने दो। बात बनाने की जगह बात करने दो। अगर वो लोगों को समझा नहीं पा रहा तो फिर वो खुद गलत है। लेकिन अगर वो बात कर रहा है तो उसे सुनो।
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    Anoop Joseph

    अक्तूबर 3, 2024 AT 20:12
    क्या ये न्याय है? या बस एक राजनीतिक चाल है?
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    Kajal Mathur

    अक्तूबर 5, 2024 AT 00:21
    इस घटना का विश्लेषण करने के लिए न्यायिक और राजनीतिक दोनों प्रक्रियाओं को अलग-अलग देखना आवश्यक है। एक अधिकारी का निर्णय और एक राजनीतिक नेता का अभियान दो अलग चीजें हैं।
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    rudraksh vashist

    अक्तूबर 6, 2024 AT 07:40
    अगर एक आदमी जेल से बाहर आ गया है तो उसे बात करने दो। बात बनाने की जगह बात करने दो। अगर वो लोगों को समझा नहीं पा रहा तो फिर वो खुद गलत है। लेकिन अगर वो बात कर रहा है तो उसे सुनो।

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