केरल के वायनाड त्रासदी की जाँच: भूस्खलन क्यों होते हैं और इसके परिणाम
अग॰, 1 2024भूस्खलन के कारण और परिणाम: वायनाड त्रासदी का विश्लेषण
केरल के वायनाड जिले में हाल ही में घटित हुई भूस्खलन त्रासदी ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस घटना ने न सिर्फ स्थानीय जनता को प्रभावित किया, बल्कि सरकार और शोधकर्ताओं के बीच भूस्खलन के कारणों और परिणामों पर गंभीर विचार-मंथन शुरू कर दिया। वायनाड की यह त्रासदी हमें यह समझने का एक अवसर देती है कि क्यों और कैसे भूस्खलन होते हैं और इनके पीछे के मुख्य कारण क्या हैं।
भूस्खलन एक व्यापक प्राकृतिक घटना है जो मुख्य रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में होती है। इसके पीछे प्राकृतिक और मानवजनित कारक होते हैं। प्राकृतिक कारकों में भूमि का टॉपोग्राफी, मिट्टी का प्रकार, और वर्षा शामिल हैं, जबकि मानवजनित कारकों में अनियंत्रित निर्माण कार्य, वनों की कटाई, और कृषि गतिविधियों का असंतुलित प्रबंधन शामिल है।
भारत में भूस्खलन एक आम समस्या है, खासकर उत्तर और पूर्वोत्तर के पर्वतीय क्षेत्रों में। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- मद्रास (IIT-M) द्वारा विकसित भारत का भूस्खलन सुसंवेदनशीलता मानचित्र (ILSM) के अनुसार, भारत का 13.17% क्षेत्र भूस्खलन के प्रति सुसंवेदनशील है, और 4.75% बहुत उच्च सुसंवेदनशीलता वाला क्षेत्र है।
केरल में कृषि गतिविधियों का प्रभाव
केरल में विशेष रूप से कृषि गतिविधियों ने भूस्खलन के घटनाओं को प्रभावित किया है। यहां की पारंपरिक वनस्पतियों को उखाड़कर चाय और कॉफी जैसी फसलें लगाई गई हैं, जिनकी जड़ें बहुत गहरी नहीं होतीं। यह भी भूस्खलन का एक महत्त्वपूर्ण कारण हो सकता है। इसके अतिरिक्त, कृषि संबंधी मोनोक्रॉपिंग (एक ही फसल को लगातार उगाना) भी मिट्टी की स्थिरता को कम करती है।
वायनाड में हालिया भूस्खलन
वायनाड की हालिया त्रासदी में, मूसलधार बारिश और बादल फटने के कारण भूस्खलन की घटनाएं बढ़ गईं। इस घटना में 250 से अधिक लोग मारे गए और हजारों लोग बेघर हो गए। लगातार बारिश और उसके बाद हुए बादल फटने ने भूमि को अस्थिर बना दिया, जिससे भूस्खलन की घटना घटी।
जांच और बचाव कार्य
वायनाड में भूस्खलन के बाद बचाव कार्यों में काफी कठिनाइयां आईं। नष्ट हो चुके इंफ्रास्ट्रक्चर और चल रही बारिश के बीच बचाव कार्यों को अंजाम देना एक कठिन चुनौती थी। इस त्रासदी के दौरान, पड़ोसी राज्यों और केंद्र सरकार ने केरल को सहायता पहुंचाई। राहत कार्य में शामिल सभी लोगों ने विषमता के बावजूद अपने कार्य को बखूबी अंजाम दिया।
रिकवरी प्रक्रिया में जानते हुए, यह भी देखा गया कि यह भूस्खलन के साथ 2018 की केरल बाढ़ की त्रासदी के बराबर थी। इस घटना ने हमें यह महसूस कराया कि प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ हमें सतर्कता और तैयारी की आवश्यकता है। इसके साथ ही, हमें जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण की रक्षा के प्रति भी जागरूक रहना होगा।
भविष्य की तैयारी
भविष्य में ऐसी घटनाओं को कम करने के लिए, यह आवश्यक है कि सरकार और नागरिक एक साथ मिलकर कार्य करें। वन संरक्षण और सही भू-उपयोग नीतियों को अपनाना आवश्यक है। साथ ही, पर्वतीय क्षेत्रों में अवैज्ञानिक निर्माण कार्यों पर रोक लगाना और प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग करना भी अनिवार्य है।
निष्कर्षतः, वायनाड की त्रासदी ने हमें यह सिखाया कि भूस्खलन के खिलाफ हमारी तैयारी कितनी महत्वपूर्ण है। हमें प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ अपने आप को और मजबूत बनाना होगा। हमें अपने पर्यावरण की रक्षा करनी होगी ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां सुरक्षित और समृद्ध जीवन जी सकें।