कू का ऑपरेशन बंद: टि्वटर के बजाय बनने वाला प्लेटफॉर्म विफल
जुल॰, 3 2024कू का उत्थान और पतन: क्यों बंद हुआ यह लोकप्रिय प्लेटफार्म
2020 में एक स्वदेशी माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफार्म के रूप में शुरू किया गया कू तेजी से उभरता हुआ प्लेटफार्म था जो टि्वटर का मुकाबला करने के लिए तैयार हुआ था। इसमें उपयोगकर्ताओं को विभिन्न भाषाओं में पोस्ट करने की सुविधा दी गई थी, जिसमें टेक्स्ट, ऑडियो और वीडियो शामिल थे। खासकर भारत में कू ने अभूतपूर्व लोकप्रियता हासिल की और 60 मिलियन से ज्यादा डाउनलोड्स के साथ दूसरा सबसे बड़ा माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफार्म बना।
उपयोगकर्ता और निवेशकों का सहयोग
कू को शुरू से ही मजबूत निवेशकों का साथ मिला, जिसमें टाइगर ग्लोबल, एक्सेल और कलारी कैपिटल जैसे प्रमुख निवेशक शामिल थे। इसने लगभग $57 मिलियन की फंडिंग जुटाई, जो इसे तेजी से बढ़ने में मदद कर सकती थी। उपयोगकर्ता तेजी से जुड़ रहे थे और प्लेटफार्म ने विभिन्न विशेषताओं के साथ उपयोगकर्ता अनुभव को समृद्ध किया।
वित्तीय चुनौतियां और बदतर प्रदर्शन
हालांकि, 2021-22 के दौरान कू का वित्तीय प्रदर्शन निराशाजनक रहा। इसका ऑपरेटिंग इनकम केवल ₹14 लाख थी जबकि इसकी घाटा 460% साल दर साल बढ़कर ₹197 करोड़ हो गया था। इसके प्रयास जैसे कू प्रीमियम और कू कॉइन्स ज्यादा लाभ नहीं दे पाए। यह प्लेटफार्म अपनी लागत को कवर करने के लिए पर्याप्त राजस्व उत्पन्न नहीं कर पाया और इसके चलते इसका कैश बर्न रेट काफी बढ़ गया।
कर्मचारी छंटनी और सैलरी कटौती
अप्रैल 2023 के बाद से कू ने अपने कर्मचारियों की संख्या में 80% से अधिक की कटौती की। जो कर्मचारी बचे थे, उन्हें भी सैलरी में कटौती सहन करनी पड़ी। अक्टूबर 2023 से वेतन में 40% तक की कमी देखी गई।
उपयोगकर्ताओं का पलायन और ग्राहकों की कमी
कू के सक्रिय उपयोगकर्ता भी तेजी से कम होते गए। जून 2023 में जहां इसके 7.2 मिलियन सक्रिय उपयोगकर्ता थे, वहीं मार्च में यह संख्या घटकर 2.7 मिलियन रह गई। इसके फाउंडर अप्रमेय राधाकृष्णा ने इसका मुख्य कारण जून 2022 से ग्राहक अधिग्रहण अभियानों की समाप्ति को बताया।
विफल मर्जर प्रयास और अंततः बंद
कू ने कई बड़ी इंटरनेट कंपनियों, कॉन्ग्लोमरेट और मीडिया हाउसेस के साथ मर्जर की बातचीत की थी, लेकिन कोई भी सफल नहीं हो सका। नतीजतन, 2023 के आखिर में कू को अपने संचालन को बंद करना पड़ा।
कू का सफर टेक्नोलॉजी व एंटरप्रेन्योरशिप की दुनिया में एक महत्वपूर्ण सबक है। यह दिखाता है कि भायावी चुनौतियों को पार करने के लिए केवल पैसा और विचार पर्याप्त नहीं होते, बल्कि सही रणनीतियों और निरंतर प्रयासों की भी आवश्यकता होती है। कू का उदय और पतन आने वाले स्टार्टअप्स और उद्यमियों के लिए एक अध्ययन का विषय हो सकता है।