क्या 'जय फिलिस्तीन' नारे के कारण असदुद्दीन ओवैसी अयोग्य करार दिए जा सकते हैं?
जून, 27 2024आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में अपनी शपथ ग्रहण के दौरान 'जय फिलिस्तीन' का नारा देकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। भाजपा नेताओं ने इसे देश विरोधी करार दिया है और मांग की है कि उन्हें संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किया जाए।
'जय फिलिस्तीन' नारे के विवाद
विवाद उस समय उभरा जब ओवैसी ने संसद भवन में अपने शपथ ग्रहण की प्रक्रिया पूरी की और अंत में 'जय फिलिस्तीन' का नारा लगाया। इसे लोकसभा रिकॉर्ड से हटाने के लिए आदेश दिए गए हैं। भाजपा ने इस नारे को विदेशी राज्य के प्रति वफादारी का परिचायक बताया, जो संविधान के अनुच्छेद 102 के तहत संसद सदस्य की अयोग्यता का आधार बन सकता है।
भाजपा का पक्ष
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने अनुच्छेद 102 के उस खंड का हवाला दिया जिसमें विदेशी राज्य की नागरिकता लेने या उसके प्रति वफादारी प्रदर्शित करने पर संसद सदस्य की सदस्यता समाप्त हो सकती है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने भी इस बारे में शिकायतें मिलने की बात कही है और नियमों की जांच का आश्वासन दिया है।
ओवैसी का बचाव
दूसरी ओर, असदुद्दीन ओवैसी ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उनका इरादा महात्मा गांधी के विचारों के प्रति समर्थन दिखाना था, जिन्होंने फिलिस्तीन की स्वतंत्रता की मांग की थी। ओवैसी ने अपने बयान में कहा कि वह केवल पीड़ितों और उत्पीड़न का सामना करने वालों का समर्थन कर रहे हैं, और यह भारतीय मूल्यों के अनुकूल है।
महात्मा गांधी का संदर्भ
ओवैसी ने महात्मा गांधी के उद्धरण का भी उल्लेख किया जिसमें उन्होंने फिलिस्तीन के लोगों के समर्थन की बात कही थी। गांधी ने हमेशा फिलिस्तीन की आजादी की बात की थी और ओवैसी के अनुसार उन्होंने वही आदर्श प्रस्तुत किया है।
सांसद अयोग्यता के नियम
संसद की सदस्यता के अयोग्यता के विभिन्न आधार हैं, जिनमें किसी अन्य राष्ट्र की नागरिकता लेना, किसी लाभ का पद धारण करना, मानसिक रूप से अस्वस्थ होना, दिवालिया होना और विदेशी राज्य के प्रति वफादारी शामिल हैं। नियमों का उल्लंघन करने पर सांसद को अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने भाजपा की इस मांग को राजनीति से प्रेरित बताया है और कहा है कि यह केवल ओवैसी को निशाना बनाने का प्रयास है। उनका मानना है कि ओवैसी ने केवल अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए हैं और इससे उनकी देशभक्ति पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।
समाज में भेदभाव का सवाल
इस विवाद ने भारतीय समाज में भेदभाव और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे को भी उजागर किया है। कई बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाया है कि क्या किसी सांसद को अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग करने के लिए दंडित किया जाना चाहिए।
विवाद के बीच, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष और संसदीय समिति क्या निर्णय लेती है। क्या ओवैसी को उनके नारे के लिए सचमुच अयोग्य करार दिया जाएगा या यह एक दीर्घकालिक विवाद ही बना रहेगा, यह समय ही बताएगा।