फ्रांस में विधायी चुनाव के बाद राजनीतिक उथल-पुथल की संभावना

फ्रांस में विधायी चुनाव के बाद राजनीतिक उथल-पुथल की संभावना
9 जुलाई 2024 17 टिप्पणि Kaushal Badgujar

फ्रांस में विधायी चुनाव के बाद उत्पन्न राजनीतिक संकट

फ्रांस में हाल ही में हुए विधायी चुनाव के बाद देश एक राजनीतिक संकट की ओर बढ़ रहा है। रविवार को हुए दूसरे चरण के मतदान के परिणामस्वरूप कोई भी पार्टी या गठबंधन स्पष्ट बहुमत पाने में असमर्थ रहा है। इस स्थिति ने देश में राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल बना दिया है, जहां कोई भी दल एक स्थिर सरकार का गठन नहीं कर पा रहा है।

पहले दौर के मतदान में दूर-दांयपक्ष की नेशनल रैली (आरएन) और उसके सहयोगियों ने लगभग एक तिहाई मत प्राप्त किए थे। इसके बाद, बाएं पंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट गठबंधन ने 28.6 प्रतिशत मत प्राप्त किए, जबकि प्रो-मैकron गठबंधन ने 20.9 प्रतिशत मत सुरक्षित किए। इस अनिश्चित स्थिति के कारण फ्रांस में राजनीतिक माहौल गरमा गया है।

नेशनल रैली की चुनौती

नेशनल रैली की इस बड़ी चुनौ्तीकारी स्थिति ने सारा राजनीतिक समीकरण बदल दिया है। फ्रांस के 577 निर्वाचन क्षेत्रों में से अनेक निर्वाचन क्षेत्रों में सैकड़ों प्रत्याशियों ने दौड़ से हटकर एंटी-RN वोट में विभाजन रोकने की कोशिश की है। इसका उद्देश्य नेशनल रैली के पूर्ण बहुमत को रोकना था, जिससे उनके स्थिर सरकार बनाने की संभावनाएं कम हो गई हैं।

राजनीतिक अस्थिरता का काल

यह स्थिति फ्रांस में आने वाले सप्ताहों या महीनों के लिए राजनीतिक अस्थिरता का कारण बन सकती है। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कौन से मुख्य निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार कितने वोट प्राप्त करते हैं। बस कुछ दर्जन मतों से परिणाम बदल सकते हैं, जिससे सरकार गठन में कठिनाई होगी।

प्रमुख मंत्री का कार्यकाल जारी

इस बीच, वर्तमान फ्रांसीसी प्रधानमंत्री अपने पद पर बने रहेंगे। हालांकि, निकट भविष्य में उनकी भूमिका और नई सरकार का गठन एक बड़ी समस्या बनी रहेगी।

आने वाले समय की चुनौतियाँ

फ्रांस के राजनीतिक परिदृश्य में इस समय जबर्दस्त अस्थिरता और अनिश्चितता बनी हुई है। सरकार गठन की यह प्रक्रिया न केवल देश के लिए चुनौतियों से भरी होगी, बल्कि इससे समग्र यूरोप में भी असर पड़ेगा। यूरोपियन यूनियन भी इस राजनीतिक उथलपुथल पर बारीकी से नजर रखे हुए है, क्योंकि फ्रांस की स्थिति का यूरोप के अन्य देशों पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

जमीनी नतीजे

इन चुनावी परिणामों ने न सिर्फ फ्रांस, बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। आने वाले दिनों में, इस राजनीतिक संकट का राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर क्या परिणाम होता है, यह देखने वाली बात होगी।

फ्रांस की इस राजनीतिक अस्थिरता से आर्थिक, सामाजिक और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कई प्रभाव पड़ सकते हैं। इसलिए, यह समय अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में फ्रांस इन चुनौतियों से कैसे जूझता है और क्या इसके परिणाम देश और दुनिया के लिए होते हैं।

17 टिप्पणि

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    Sumeer Sodhi

    जुलाई 10, 2024 AT 19:51

    ये सब फ्रांस का खेल है लेकिन हम भी इसी तरह की चीज़ें देख रहे हैं। जब लोग अपने वोट को अपने घृणित राजनीतिक भावनाओं के लिए इस्तेमाल करते हैं, तो देश टूटता है। कोई भी पार्टी अपने लिए नहीं, बल्कि देश के लिए सोचे, तो ये सब नहीं होता।

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    Vinay Dahiya

    जुलाई 11, 2024 AT 21:29

    अरे भाई, ये सब तो बस एक नए दौर की शुरुआत है... नेशनल रैली ने अभी तक कुछ नहीं किया, लेकिन उनका वोट बढ़ रहा है... और अब लोग डर रहे हैं... क्यों? क्योंकि वो जानते हैं कि अब कोई उनके जैसा नहीं होगा... और ये डर असली है... बस इतना ही...

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    Sai Teja Pathivada

    जुलाई 13, 2024 AT 00:15

    ये सब बस एक बड़ा गेम है... मानो कोई बड़ा बॉस दुनिया को घुमा रहा है... आप सोचते हैं ये चुनाव हैं? नहीं भाई, ये एक डिजिटल वॉर है... एआई, सोशल मीडिया, फेक न्यूज़... सब कुछ तैयार है... और फ्रांस बस एक टेस्ट केस है... अगला हमारा देश होगा... 😱

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    Antara Anandita

    जुलाई 14, 2024 AT 21:01

    इस स्थिति में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि फ्रांस के नागरिक अभी भी शांति से रह रहे हैं। अगर यहाँ कोई भी नया सरकार बनती है, तो उसे जनता के बीच विश्वास बनाना होगा, न कि दूसरों को नीचा दिखाना।

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    Gaurav Singh

    जुलाई 16, 2024 AT 01:55

    ये सब तो बस एक बड़ा ड्रामा है जो हमें बताया जा रहा है... अगर बहुमत नहीं है तो तो गठबंधन बनाओ... ये तो डेमोक्रेसी का नियम है... लेकिन अब हर कोई बहुमत की तलाश में है... न कि समझ की... 😏

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    Priyanshu Patel

    जुलाई 17, 2024 AT 23:45

    ये सब देखकर लगता है जैसे कोई बड़ी फिल्म चल रही हो... अच्छा है कि लोग अभी भी बात कर रहे हैं... अगर लोग चुप हो जाएंगे तो तब डरना शुरू कर देना... ये तो बस एक शुरुआत है... 🙌

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    ashish bhilawekar

    जुलाई 18, 2024 AT 19:09

    ये फ्रांस का अंत हो रहा है भाई... ये नहीं जानते कि अब क्या होगा... जब तक लोग अपने घरों में बैठे टीवी देख रहे हैं... तब तक ये सब खेल चलता रहेगा... लेकिन अगर एक दिन लोग निकल पड़ेंगे... तो ये सारा घर उड़ जाएगा... ये बस एक बार देखोगे... बस...

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    Vishnu Nair

    जुलाई 19, 2024 AT 03:59

    इस राजनीतिक अस्थिरता का मूल कारण निश्चित रूप से निर्माणात्मक डेमोक्रेसी के अंतर्गत निर्मित इंस्टीट्यूशनल फ्रेमवर्क का अपर्याप्त रूप से अनुकूलन है, जिसमें पार्टी-संरचना और वोटिंग सिस्टम के बीच एक गहरा असंगति विकसित हो गई है। इसके अलावा, निर्वाचित निकायों की आंतरिक समन्वय तंत्र की असमर्थता, विशेषकर बहु-पार्टी समाज में, एक अत्यधिक अस्थिर निर्णय लेने की प्रक्रिया को जन्म देती है। यह सिस्टम तब तक काम नहीं करेगा जब तक कि हम एक डिजिटल रैंकिंग सिस्टम के साथ रैंक्ड चॉइस वोटिंग को अपनाएं, जो वोटर्स की प्राथमिकताओं को बेहतर तरीके से दर्शाए।

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    Kamal Singh

    जुलाई 19, 2024 AT 06:34

    ये चुनाव बस एक शुरुआत है। अगर फ्रांस अपने लोगों को सुनता है, तो ये अस्थिरता एक नई शुरुआत का रास्ता बन सकती है। लोगों को बस एक दूसरे को समझने की जरूरत है। न कि एक दूसरे को नीचा दिखाने की।

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    Jasmeet Johal

    जुलाई 19, 2024 AT 09:39

    कोई बहुमत नहीं तो फिर क्या हुआ

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    Shreyas Wagh

    जुलाई 19, 2024 AT 20:16

    इस अनिश्चितता में एक गहरा संदेश छिपा है... लोग अब अपने दिलों से वोट कर रहे हैं... न कि अपने दिमाग से... और ये बदलाव ही असली क्रांति है।

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    Pinkesh Patel

    जुलाई 20, 2024 AT 22:54

    फ्रांस में ये सब तो बस एक बड़ा फर्ज़ है... लोग तो अपने घरों में बैठे हैं... असली शक्ति तो उनके पास है जो टेक्नोलॉजी चला रहे हैं... ये सब बस एक नाटक है... और हम सब एक्टर हैं... 😏

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    Abdul Kareem

    जुलाई 21, 2024 AT 20:18

    क्या कोई जानता है कि अगर फ्रांस में नई सरकार नहीं बनती तो क्या होगा? क्या वो अपने यूरोपीय दायित्वों को भूल जाएंगे?

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    Namrata Kaur

    जुलाई 22, 2024 AT 18:24

    अगर सरकार नहीं बन पा रही तो लोगों को अपने आप एक साथ आना चाहिए। छोटे-छोटे समूह बनाकर काम करना शुरू कर देना चाहिए।

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    indra maley

    जुलाई 24, 2024 AT 05:03

    सभी पार्टियाँ अपने आप को अलग समझती हैं... लेकिन क्या कोई सोचता है कि लोग एक ही हैं? असली समस्या तो ये है कि हम अपने बीच के अंतर को नहीं देख पा रहे।

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    Kiran M S

    जुलाई 25, 2024 AT 12:28

    ये सब तो बस एक अधिकार का खेल है... जो लोग बाहर से देख रहे हैं वो समझते हैं कि ये एक नया युग है... लेकिन अंदर के लोग अभी भी पुराने खेल में फंसे हैं।

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    Paresh Patel

    जुलाई 25, 2024 AT 20:44

    ये सब तो बस एक अवसर है... अगर हम सब एक साथ आ जाएँ तो ये अस्थिरता हमारे लिए एक नई शुरुआत बन सकती है। बस थोड़ा विश्वास और थोड़ी उम्मीद की जरूरत है।

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