रुतुराज गायकवाड़ का 184: डुलीप ट्रॉफी से टीम इंडिया रडार पर जोरदार वापसी

184 की दस्तक: संकट से उबारते हुए वेस्ट जोन
सिर्फ 10/2 का स्कोर, चार महीने बाद मैदान पर वापसी, और सामने डुलीप ट्रॉफी 2025 का सेमीफाइनल—इस दबाव में 206 गेंदों पर 184 रन। यह पारी रुतुराज गायकवाड़ की तकनीकी सटीकता और मानसिक मजबूती की साफ झलक थी। वेस्ट जोन दिन के अंत तक 87 ओवर में 363/6 पर पहुंचा और मुकाबले की कमान अपने हाथ में कर ली।
गायकवाड़ क्रीज पर 324 मिनट टिके, और पूरी पारी के दौरान उनकी गेम-प्लानिंग साफ दिखी—गेंद को देर से खेलना, बैक-फुट पर समय लेना, और कवर्स से लेकर स्ट्रेट ड्राइव तक साफ-सुथरे शॉट्स। शुरुआती झटकों के बाद उन्होंने टेंपो बारीकी से बढ़ाया: नई गेंद निकलते ही उन्होंने सिंगल-डबल का सिलसिला पकड़ा, और ढीली गेंदों पर बेबाक बाउंड्री निकालीं।
उनकी पारी का अंत थोड़ा एंटी-क्लाइमैक्स रहा। ऑफस्पिनर सरांश देसाई की लूप हुई गेंद पर वह पहली बार निर्णायक कदम आगे बढ़े, फ्लाइट से धोखा खाया और विकेटकीपर उपेंद्र यादव ने उन्हें स्टंप कर दिया। पूरे दिन देर से खेलते रहे गायकवाड़ ने इसी एक मौके पर जोखिम लिया—और यहीं विकेट चला गया।
स्कोरकार्ड में यह सिर्फ 184 नहीं है; संदर्भ इसे और बड़ा बनाता है। वेस्ट जोन दबाव में था, पिच धीरे-धीरे खेलने लायक बन रही थी, और सेंट्रल जोन के गेंदबाज अच्छी लंबाई पर टिके थे। ऐसे में गायकवाड़ ने गलत शॉट्स को पूरी तरह बाहर रखा, ऑफ स्टंप की गेंदों को छोड़कर बॉलर की लाइन बिगाड़ी और तभी अटैक किया जब फील्ड फैला।
- पारी की शुरुआत: गेंद को देर से खेलते हुए जोखिम न्यूनतम रखा
- मध्य चरण: रफ्तार बढ़ाने के लिए स्ट्राइक रोटेशन पर फोकस
- आक्रामक शॉट्स: स्पिनरों के खिलाफ कवर्स और लॉन्ग-ऑन के ऊपर साफ हिट्स
- विकेट: सरांश देसाई की फ्लाइट से बीट होकर स्टंप्ड
गायकवाड़ की वापसी का समय भी कहानी का अहम हिस्सा है। चोट और निजी कारणों से लंबा ब्रेक लेने के बाद यह उनकी पहली बड़ी पारी है। यह टोन सेट करती है—फिटनेस है, रिद्म वापस है, और सबसे जरूरी, लंबी पारी खेलने की आदत जस की तस है।
चयन समीकरण: जैसवाल-अय्यर की लड़खड़ाहट के बीच गायकवाड़ की दावेदारी
घरेलू टेस्ट सीजन अक्टूबर से शुरू होना है और चयनकर्ता रेड-बॉल फॉर्म को इस बार पहले से ज्यादा वेटेज दे रहे हैं। ऐसे में डुलीप ट्रॉफी सिर्फ टूर्नामेंट नहीं, एक ऑडिशन है। इसी मंच पर Ruturaj Gaikwad ने जो दिखाया, वह सीधा राष्ट्रीय टीम के दरवाजे पर दस्तक जैसा है।
एशिया कप स्क्वाड से बाहर रहने के बाद यशस्वी जैसवाल और श्रेयस अय्यर की घरेलू शुरुआत चमकी नहीं। इस कॉन्ट्रास्ट में गायकवाड़ की 184 रन की पारी और भी भारी दिखती है। सेलेक्टर्स के लिए यह संकेत साफ है—ओपनिंग स्लॉट से लेकर टॉप-ऑर्डर के बैकअप तक, गायकवाड़ नाम फिर टेबल पर है।
टेक्निकल एंगल से देखें तो उनकी ‘लेेट-प्ले’ तकनीक भारतीय पिचों पर स्पिन के खिलाफ सोने की चाबी है। वह ऑफ स्टंप की बाहर जाती लाइन को लगातार नेगेट करते हैं, जिससे एड्जेस कम लगती हैं। स्पिन के खिलाफ उनके पैरों का काम—क्रिज का इस्तेमाल, डिफेंस से आक्रमण में बिना जोखिम के शिफ्ट—उन्हें लंबी पारी खेलने देता है। भारतीय सबकॉन्टिनेंट की टेस्ट पिचों पर यही स्किलसेट निर्णायक साबित होता है।
वेस्ट जोन के लिए यह पारी सिर्फ स्कोर नहीं, ड्रेसिंग रूम का भरोसा भी बढ़ाती है। शुरुआती दो विकेट गिरने के बाद साझेदारी बनाना आसान नहीं था। गायकवाड़ ने दूसरे छोर को सेट होने का समय दिया, फील्ड को फैलाया और फिर गैप्स में लगातार रन बटोरे। इसी समझदारी ने सेंट्रल जोन के बॉलर्स की योजना बिगाड़ी।
यह बात भी गौर करने लायक है कि उनका योगदान टूर्नामेंट की बाकी चर्चित पारियों को पीछे छोड़ गया। सेंट्रल जोन के लिए श्रेयस अय्यर के कुछ अच्छे स्पेल्स—चाहे वह काउंटर-अटैक हों या रिसिलिएंस—इस 184 के सामने दब गए। बल्लेबाज़ी के उस लेवल पर जहां एक-एक सेशन खेलना मायने रखता है, गायकवाड़ ने दिन की धुरी अपने इर्द-गिर्द घुमा दी।
डुलीप ट्रॉफी का ढांचा भी गायकवाड़ के पक्ष में जाता है। जोनल स्टैंडर्ड ऊंचा है—आपको अलग-अलग राज्यों के सर्वश्रेष्ठ के खिलाफ अपनी तकनीक परखनी पड़ती है। ऐसे माहौल में 200 के अंदर 184, वह भी संकट में, सेलेक्टर्स के लिए मजबूत डेटा पॉइंट है।
आगे क्या? घरेलू टेस्ट सीजन से पहले दो-तीन और रेड-बॉल गेम्स में इसी टेम्पलेट को रिपीट कर पाना कुंजी होगा। टीम इंडिया के टॉप-ऑर्डर में प्रतिस्पर्धा तगड़ी है, लेकिन फॉर्म, फिटनेस और लंबी पारी—ये तीन चेकबॉक्स अगर टिक रहे, तो दरवाजा खुलता है। फिलहाल, वेस्ट जोन 363/6 पर है और मैच का मूड तय हो चुका है—उस 324 मिनट की क्लास ने सारा नैरेटिव बदल दिया है।