अंतरिम डिविडेंड: आपका आसान गाइड
शेयर मार्केट में अक्सर ‘डिविडेंड’ शब्द सुनते हैं, लेकिन ‘अंतरिम डिविडेंड’ थोड़ा अलग होता है। सरल भाषा में कहें तो यह कंपनी द्वारा आधे साल या तिमाही के बाद शेयरहोल्डर्स को दिया गया लाभांश है, जब वार्षिक रिपोर्ट अभी पूरी नहीं हुई होती। इस लेख में हम समझेंगे कि यह कैसे काम करता है, क्यों कंपनियां इसे जारी करती हैं और आपके निवेश को कैसे प्रभावित करता है।
अंतरिम डिविडेंड के प्रकार और प्रक्रिया
अधिकतर कंपनियां दो तरह के डिविडेंड देती हैं – अंतरिम (इंटरिम) और अंतिम (फाइनल)। अंतरिम डिविडेंड का निर्णय बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स लेता है, जो कंपनी की मौजूदा कमाई, नकदी फ्लो और भविष्य की योजना को देख कर तय करता है। आम तौर पर यह साल में दो बार दिया जाता है – आधी साल के बाद (छह महीने) और चौथाई साल के बाद (तीन महीने)।
जब बोर्ड डिविडेंड घोषित करता है, तो दो तिथियां तय होती हैं: डिविडेंड एक्स-डेट (जिस दिन से शेयर खरीदने वाले को डिविडेंड नहीं मिलेगा) और पेमेन्ट डेट (जिस दिन वास्तविक पैसा शेयरहोल्डर के बैंक खाते में जमा होगा)।
डिविडेंड की राशि कंपनी की कमाई का एक प्रतिशत होती है, जैसे 5% या 10% पर शेयर की कीमत के आधार पर। अगर आप 100 शेयर रखते हैं और कंपनी 10% डिविडेंड देती है, तो आपको 10 रुपये मिलेंगे।
निवेशकों के लिए अंतरिम डिविडेंड क्यों महत्त्वपूर्ण है?
सबसे पहला फायदा यह है कि आप जल्दी नकद प्राप्त कर सकते हैं, जिससे आप फिर से शेयर या अन्य निवेशों में पैसा लगा सकते हैं। इससे कंपाउंडिंग इफ़ेक्ट भी बढ़ता है – यानी आपका पैसा लगातार काम करता रहता है।
दूसरा, अंतरिम डिविडेंड कंपनी के स्वास्थ्य का संकेत देता है। अगर कंपनी लगातार अंतरिम डिविडेंड देती है, तो इसका मतलब है कि उसकी नकदी स्थिति ठोस है और वह लाभ कमाने में सक्षम है। यह खासकर छोटे निवेशकों के लिए भरोसे का संकेत हो सकता है।
तीसरा, टैक्स के हिसाब से भी अंतरिम डिविडेंड अलग होता है। भारत में डिविडेंड पर टैक्स अब 10% (यदि आपके पास शेयर आदि 1 करोड़ से कम हैं) से कट जाता है, सिवाय अगर आप फॉर्म 10‑B या 10‑C में एग्जेम्प्शन ले रहे हों। इसलिए डिविडेंड मिलने से पहले इस बारे में जाँच करना फायदेमंद रहता है।
हाल की खबरों में कई बड़ी कंपनियों ने अंतरिम डिविडेंड जारी किया है – जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने 2025 में फाइनल डिविडेंड के साथ साथ पिछले क्वार्टर में अंतरिम डिविडेंड भी दिया। इससे उनके शेयरधारकों को लगातार रिटर्न मिला। इसी तरह, कुछ छोटे मिड‑कैप कंपनियां भी अपने लाभांश को नियमित रखने के लिए अंतरिम डिविडेंड देती हैं।
अंत में, अगर आप शेयर मार्केट में नया हैं तो अंतरिम डिविडेंड को नजरअंदाज़ न करें। यह न सिर्फ आपके पोर्टफोलियो में नकदी जोड़ता है, बल्कि आपके निवेश पर भरोसा भी बनाता है। बस याद रखिये कि डिविडेंड की घोषणा के बाद एक्स‑डेट से पहले शेयर खरीदना चाहिए, नहीं तो आप इस राउंड से बाहर रहेंगे।
तो अगली बार जब आप किसी कंपनी की सालाना रिपोर्ट पढ़ें, तो अंतरिम डिविडेंड की जानकारी भी देखना न भूलें। यह आपके निवेश निर्णयों को और स्मार्ट बना देगा।