हिंदी दिवस – क्यों और कैसे मनाएँ?
हर साल 18 सितंबर को पूरा भारत हिंदी भाषा के जश्न में धूम मचा देता है। क्या आप भी जानना चाहते हैं कि यह दिन खास क्यों है और इसे अपने घर में कैसे एंजॉय कर सकते हैं? नीचे दिया गया गाइड पढ़िए, एक मिनट में समझ आएगा।
हिंदी दिवस का इतिहास
हिंदी दिवस की शुरुआत 1945 में हुई, जब लाला लाजपत राय ने ‘हिंदी दिवस’ की घोषणा की। उनका मकसद था लोगों को हिंदी को अपनाने की प्रेरणा देना, ताकि स्वतंत्र भारत में राष्ट्रीय एकता को भाषा के ज़रिये क़ायम किया जा सके। 1946 में इसे आधिकारिक रूप से 14 अक्टूबर को मनाया गया, लेकिन बाद में 1949 में 18 सितंबर को स्थायी रूप से तय किया गया, क्योंकि उस दिन ‘हिंदी के लिए शहीद’ पंडित रामकृष्ण शुक्ल ने अपना आखिरी शब्द कहा था।
हिंदी दिवस पर क्या करें?
आपको महँगे कार्यक्रम की ज़रूरत नहीं, छोटे‑छोटे कदम भी बड़ा असर कर सकते हैं:
- सवेरे सुबह ‘जयहिंद’ ध्वनि सुनते हुए अपने घर में हिंदी कविताएँ पढ़ें।
- भोजन के साथ हिंदी गीतों की प्लेलिस्ट बनाएँ, जैसे ‘वंदे मातरम्’, ‘जन गण मन’।
- बच्चों के साथ ‘अक्लमंद’ शब्द खेलें – एक शब्द कहो, दूसरा उसे आगे जोड़कर नया वाक्य बनाओ।
- स्कूल या कॉलेज के बच्चों को हिंदी में छोटे निबंध लिखवाएँ, फिर मिल‑जुल कर पढ़ें।
- सोशल मीडिया पर #हिंदीदिवस हैशटैग से अपने हर पोस्ट को टैग करें, ताकि और लोग भी प्रेरित हों।
इन आसान चीज़ों से आपके परिवार में हिंदी का प्यार बढ़ेगा और आसपास के लोग भी इसे अपनाएंगे।
अगर आप अपने काम की जगह पर इस दिन को खास बनाना चाहते हैं, तो एक छोटा ‘हिंदी वर्ड ड्रॉप’ रख सकते हैं। हर घंटे एक नया शब्द बोर्ड पर लिखें और देखिए, कर्मचारियों के बीच कितनी चर्चा होती है।
बाजार में भी कई हिंदी‑थीम वाले उत्पाद आते हैं – कैंडी पैकेज, बॉल पेन, टी‑शर्ट। इन्हें खरीदकर आप न सिर्फ़ अपना समर्थन दिखा सकते हैं, बल्कि स्थानीय व्यवसायों को भी बढ़ावा दे सकते हैं।
हिंदी दिवस पर कई समाचार पत्र भी विशेष अंक जारी करते हैं। अगर आप पढ़ने के शौकीन हैं, तो आज का विशेष अंक पढ़ें, इसमें कवियों की नई रचनाएँ, लेखक के इंटरव्यू और देश‑विदेश से हिंदी की खबरें होती हैं।
अंत में, अगर आपके पास थोड़ा समय है, तो एक छोटी सी ‘हिंदी भाषा कार्यशाला’ आयोजित कर सकते हैं। इसमें आप गाँव‑घर में रहने वाले बुज़ुर्गों के शब्दों को संकलित कर, एक छोटा बुकलेट बना सकते हैं। यह न केवल सांस्कृतिक विरासत को बचाएगा, बल्कि नई पीढ़ी को भी प्रेरित करेगा।
तो इस 18 सितंबर को सिर्फ़ एक तिथि नहीं, बल्कि अपनी ज़िंदगी में हिंदी को एक नया अंदाज़ दें। छोटे‑छोटे कदमों से भाषा का प्रेम बढ़ाएँ और फिर देखिए, कैसे ‘हिंदी दिवस’ आपके रोज़मर्रा में बदलाव लाता है।