लाभांश: आसान भाषा में पूरी जानकारी
जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं, तो कंपनी को मुनाफा होता है। उस मुनाफे का एक हिस्सा शेयरधारकों को वापस देता है, उसे ही हम लाभांश या डिविडेंड कहते हैं। यानी, आपका शेयर सिर्फ मूल्य बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि नियमित आय का स्रोत भी बन सकता है।
लाभांश कैसे काम करता है?
कंपनी हर साल या क्वार्टरली (तीन‑महीने में एक बार) अपना वित्तीय परिणाम निकालती है। अगर मुनाफा अच्छा रहा और बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स ने तय किया कि कुछ पैसा शेयरधारकों को देना है, तो वे एक घोषणा जारी करते हैं – लाभांश घोषणा। इस घोषणा में दो मुख्य बातें होती हैं: डिविडेंड प्रति शेयर (₹) और एक्स‑डेट (Ex‑Date)।
एक्स‑डेट वह दिन होता है जिसके बाद शेयर खरीदने वाले को लाभांश नहीं मिलता। अगर आप एक्स‑डेट से पहले शेयर रखते हैं, तो आपको लाभांश मिलेगा। अकसर एक्स‑डेट के एक या दो दिन पहले का क्लोज़िंग प्राइस थोड़ा बढ़ जाता है, क्योंकि खरीददार जानता है कि उसे लाभांश मिलेगा।
लाभांश के प्रकार और टैक्स पर असर
लाभांश दो तरह का हो सकता है – कैश डिविडेंड (रुपये में) और स्टॉक डिविडेंड (अतिरिक्त शेयर). कैश डिविडेंड में आपको सीधे पैसे मिलते हैं, जबकि स्टॉक डिविडेंड में आपके पास शेयरों की संख्या बढ़ जाती है। दोनों में टैक्स की अलग‑अलग दरें लगती हैं।
व्यक्तियों के लिए, 2023‑24 के बाद कैश डिविडेंड पर 10% टैक्स (सुरक्षित सीमा 10,000 ₹) लागू है, जबकि स्टॉक डिविडेंड पर भी वही दर लागू होती है। अगर आपका कुल आय इस सीमा से कम है, तो आप टैक्स फ्री लाभांश ले सकते हैं। लेकिन कंपनियों पर अलग नियम होते हैं, इसलिए अगर आप एंजल इन्वेस्टर या संस्थागत निवेशक हैं तो टैक्स प्लानिंग जरूरी है।
तो, अब जब आप समझ गए हैं कि लाभांश कौन‑से दिन किसे मिलता है और टैक्स कैसे लगता है, तो इसे देखते‑समझते अपनी पोर्टफोलियो में ऐसे स्टॉक्स रखें जिनका लगातार डिविडेंड रेट हो। कई बड़े कंपनियों – जैसे टाटा मोटर्स, एशियन पेंट्स, और हाल ही में टीवीएस मोटर ने 1000% अंतरिम डिविडेंड घोषित किया – का रिकॉर्ड देखने पर पता चलता है कि स्थिर आय की तलाश में निवेशकों को इनका चुनाव करना चाहिए।
लाभांश चुनते समय दो चीज़ें याद रखें: पहली, कंपनी की लाभप्रदता और भविष्य की योजना। अगर कंपनी लगातार मुनाफा बना रही है और विकास के अच्छे प्रोजेक्ट हैं, तो उसे डिविडेंड देना तय रहेगा। दूसरी, डिविडेंड यील्ड देखिए – यानी डिविडेंड को शेयर की कीमत से भाग करके पाई गई दर। यील्ड जितनी अधिक, उतनी ही बेहतर रिटर्न की संभावना। पर बहुत ज्यादा यील्ड वाले शेयर अक्सर जोखिम वाला भी हो सकता है, इसलिए बैकलॉग जांचें।
संक्षेप में, लाभांश एक अच्छा तरीका है पर्सनल इनकम बनाने का, लेकिन इसे समझदारी से चुनना जरूरी है। नियमित रूप से कंपनी की रिपोर्ट देखिए, एक्स‑डेट को नोट करें, और टैक्स नियमों को अपडेट रखें। इस तरह आप अपने निवेश को सिर्फ मूल्य उछाल पर नहीं, बल्कि स्थायी आय पर भी भरोसा कर पाएँगे।