ट्रम्प की प्रत्यक्ष शुल्क नीति: भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में संभावित खटास

ट्रम्प की प्रत्यक्ष शुल्क घोषणा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत और अन्य व्यापारिक साझेदारों के खिलाफ प्रत्यक्ष शुल्क की नई नीति घोषित की है। इस नीति से व्यापार संबंधों में अनिश्चितता उत्पन्न हो रही है। ट्रम्प और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन में हुई बैठक के दौरान, ट्रम्प ने भारतीय बाजार के लिए अमेरिकी तेल, गैस और सैन्य सामग्रियों की अधिक खरीद की घोषणा की, ताकि लगभग $45 बिलियन के व्यापार घाटे को संतुलित किया जा सके।
इसके बावजूद, अमेरिका भारत को प्रत्यक्ष शुल्क से छूट देने के लिए तैयार नहीं है, जिससे भारतीय निर्यात पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है।
विशेषज्ञों की राय और व्यापार की दिशा
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के अजय श्रीवास्तव और व्यापार नीति विशेषज्ञ अभिजीत दास के अनुसार, यह नीतिगत बदलाव डब्ल्यूटीओ नियमों के तहत जटिलताओं को जन्म दे सकता है। उन्होंने कीमतों की अस्थिरता, गैर-शुल्कीय अवरोध और बौद्धिक सम्पदा सुरक्षा जैसी चुनौतियों को इसकी वजह बताया।
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ के अजय साहई ने प्रमुख क्षेत्रों के लिए छूट की अनुकूलता की नीति पर जोर दिया। उन्होंने हाल ही में अमेरिकी माल पर लागू शुल्क में राहत का लाभ लेने की सिफारिश की।
हालांकि पिछले प्रयास 'मिनी ट्रेड डील' को बाइडन प्रशासन के कार्यकाल में रोका गया था, दोनों देशों के बीच एक संभावित व्यापार समझौता वार्ताओं के केंद्र में है। 2024-25 के दौरान अप्रैल-नवंबर में भारत-अमेरिका का द्विपक्षीय व्यापार $82.52 बिलियन था, जिसमें भारत के पक्ष में $23.26 बिलियन का व्यापार अधिशेष था।
विशेषज्ञ कहते हैं कि इस नाजुक स्थिति में स्त्रीधन कूटनीति का सहारा लेना उचित है, जिससे दोनों राष्ट्रों के बीच व्यापारिक खटास से बचा जा सके।