अखिलेश यादव ने लोकसभा सत्र छोडा, सरकार पर किसान कानूनों पर चर्चा न करने का आरोप

अखिलेश यादव ने लोकसभा सत्र छोडा, सरकार पर किसान कानूनों पर चर्चा न करने का आरोप जुल॰, 2 2024

अखिलेश यादव ने लोकसभा सत्र में मोदी सरकार पर साधा निशाना

मंगलवार को लोकसभा सत्र में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने अचानक वॉकआउट कर दिया। अखिलेश यादव का आरोप है कि सरकार किसान कानूनों पर चर्चा की अनुमति नहीं दे रही है, जो कि विरोधियों की आवाज को दबाने का एक प्रयास है। यादव के इस कदम से सत्र में उपस्थित कई अन्य विपक्षी दलों ने भी समर्थन जताया।

किसान कानून और किसानों की हालत

अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार ने 2020 में किसान कानून लागू किए थे, जिनका प्रभाव सीधे तौर पर देश के किसानों पर पड़ा है। उनका कहना है कि ये कानून केवल बड़े कॉर्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाए गए हैं, जबकि किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। यादव ने उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश के किसानों की दयनीय स्थिति का जिक्र करते हुए इन कानूनों को वापस लेने की मांग की है।

सत्र में सरकार और विपक्ष का टकराव

किसान कानूनों पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष पहले से ही सक्रिय था। जब कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से एक सवाल का उत्तर देने के दौरान यादव ने असंतोष प्रकट किया, तब वह जोर-शोर से नारेबाजी करने लगे। यादव के इस विरोध के कारण सत्र में अस्थाई बाधा उत्पन्न हुई।

इसके बाद, अखिलेश यादव ने विरोध स्वरूप सदन से बाहर चल दिए। कांग्रेस और वाम दलों के कई सदस्यों ने भी यादव का समर्थन किया। यादव पहले ही अधिवेशन के दौरान प्रस्ताव रखा था कि किसान कानूनों पर चर्चा की जाए, लेकिन स्पीकर ने इसे अनुमति नहीं दी।

सरकार का पक्ष और विपक्ष की मांगें

केंद्र सरकार ने बार-बार कहा है कि ये कानून भारतीय कृषि क्षेत्र में सुधार लाने के लिए तैयार किए गए हैं। उनका दावा है कि इससे किसानों की आय बढ़ेगी और उन्हें अपनी उपज को सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने का अवसर मिलेगा। लेकिन विपक्ष का मानना है कि ये कानून कॉर्पोरेट सेक्टर को फायदा पहुंचाने वाले हैं और किसान के हितों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

अखिलेश यादव और अन्य विपक्षी नेताओं का कहना है कि सरकार को किसानों की समस्याओं पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और किसान कानूनों को वापस लेना चाहिए। इस मुद्दे पर लगातार बढ़ते विरोध के बावजूद मोदी सरकार ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जिससे किसान और विपक्षी दलों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।

विपक्षी दलों की अगली रणनीति

लोकसभा सत्र में यादव के वॉकआउट ने विपक्ष को एकजुट कर दिया है और उन्हें नई रणनीति बनाने के लिए मजबूर किया है। विपक्षी दलों की योजना है कि वे अब और भी अधिक जोर-शोर से सत्र के दौरान किसान कानूनों के मुद्दे को उठाएंगे। इस मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए विपक्ष एकजुट है और भावी रणनीतियों पर चर्चा चल रही है।

किसान आंदोलन के चर्चित चेहरों और विपक्षी दलों के नेताओं का मानना है कि सत्ताधारी दल सरकार को किसानों के हितों का ध्यान रखना ही होगा। इसके लिए कई रैलियों, धरनों और सभा-सम्मेलनों का आयोजन भी प्रस्तावित है, जिससे किसान कानून के खिलाफ माहौल को और भी गर्म किया जा सके।

देशभर के किसानों में इस मुद्दे को लेकर आक्रोश है और उनके समर्थन में विपक्ष का यह कदम कितना कारगर सिद्ध होता है, यह समय बताएगा। लेकिन इतना साफ है कि सरकार और विपक्ष के बीच टकराव की इस गाथा में अभी और भी कई मोड़ आना बाकी हैं। किसान और उनके समर्थन में विपक्ष की आवाज को दबाना अब आसान नहीं रहेगा।

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