बजट 2024: पूंजीगत लाभ छूट सीमा 1.25 लाख रुपये तक बढ़ी, STCG दर 20% और LTCG दर 12.5% पर पहुंची
जुल॰, 23 2024बजट 2024 में पूंजीगत लाभ कराधान में बड़े बदलाव
भारत के वित्त मंत्री ने बजट 2024 की घोषणा करते हुए पूंजीगत लाभ कराधान में महत्वपूर्ण बदलावों का खुलासा किया है। सरकार ने इस बार पूंजीगत लाभ छूट सीमा को बढ़ाकर प्रति वर्ष 1.25 लाख रुपये कर दिया है। इस कदम का उद्देश्य अधिक से अधिक छोटे निवेशकों को छूट प्रदान करना और उनकी वित्तीय योजना को सरल बनाना है।
अल्पकालिक पूंजीगत लाभ (STCG) की दर अब कुछ संपत्तियों पर 20% कर दी गई है। इस बदलाव का प्रभाव उन निवेशकों पर पड़ेगा जो अपने निवेश को थोड़े समय के भीतर बेच देते हैं। इसका मतलब है कि जो लोग एक छोटे समय के लिए निवेश करते हैं, उन्हें अब ज्यादा कर देना पड़ेगा। हालांकि, दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (LTCG) की दर कुछ संपत्तियों पर 12.5% कर दी गई है।
वित्तीय और गैर-वित्तीय संपत्तियों पर व्यापक प्रभाव
ये बदलाव वित्तीय और गैर-वित्तीय दोनों तरह की संपत्तियों पर लागू होंगे। इसका मतलब है कि निवेशक चाहे शेयर बाजार में हों या फिर किसी अन्य प्रकार की संपत्ति में, उन्हें इन नई दरों के अनुसार कर का भुगतान करना होगा। विशेष रूप से, गैर-सूचीबद्ध बांड और ऋण म्यूचुअल फंड पर लागू कर की दर अभी भी प्रासंगिक आयकर दर होगी।
इस बदलाव से निवेशकों के व्यवहार में भी परिवर्तन होने की उम्मीद है। जो निवेशक पहले अल्पकालिक में अपने निवेश को बेच देते थे, वे अब दीर्घकालिक निवेश की ओर रुख कर सकते हैं ताकि उन्हें कम कर देना पड़े। इसके अलावा, सरकार की यह पहल राजस्व उत्पन्न करने के साथ-साथ वित्तीय संतुलन को बनाए रखने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
अन्य वित्तीय सुधार
बजट 2024 के इन बदलावों का उद्देश्य केवल कराधान में सुधार करना नहीं है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि देश की आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित किया जा सके। सरकार ने कई अन्य वित्तीय सुधार भी प्रस्तुत किए हैं जिनका उद्देश्य निवेशकों को प्रोत्साहित करना और अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है।
इस संदर्भ में, यह देखा गया है कि सरकार ने बजट 2024 के कई प्रावधानों में सामाजिक कल्याण, बुनियादी ढांचे के विकास और शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण निवेश किया है।
सरकार द्वारा की गई इन नई घोषणाओं का दीर्घकालिक प्रभाव क्या होगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इस समय यह स्पष्ट है कि सरकार की प्राथमिकता फिस्कल कंसोलिडेशन के साथ-साथ आर्थिक वृद्धि को संतुलित करना है।