जंगपुरा विधानसभा चुनाव 2025: बीजेपी के तरविंदर सिंह मारवाह ने मनीष सिसोदिया को चौंकाने वाली हार दी

जंगपुरा विधानसभा चुनाव 2025: बीजेपी के तरविंदर सिंह मारवाह ने मनीष सिसोदिया को चौंकाने वाली हार दी
9 फ़रवरी 2025 8 टिप्पणि Kaushal Badgujar

तरविंदर सिंह मारवाह की जीत ने चौंकाया

जंगपुरा विधानसभा सीट का चुनावी परिणाम 2025 में लगभग एक चौंकाने वाला था, जब बीजेपी के तरविंदर सिंह मारवाह ने आम आदमी पार्टी के मनीष सिसोदिया को 636 वोटों के मामूली अंतर से मात दी। मारवाह, जिन्होंने पहले तीन बार इस क्षेत्र से जीत दर्ज की थी, 2022 में बीजेपी में शामिल होकर एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरे।

तरविंदर सिंह मारवाह को 30,665 वोट मिले, वहीं मनीष सिसोदिया ने 30,029 वोट पाकर दुसरे स्थान पर रहे। इसके इतर कांग्रेस के फरहाद सूरी केवल 6,551 वोट ही प्राप्त कर सके, जो इस क्षेत्र में कांग्रेस की कमजोर स्थिति को दर्शाता है।

हैरतअंगेज उतार-चढ़ाव

हैरतअंगेज उतार-चढ़ाव

मारवाह की जीत आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई है। सिसोदिया, जो पहले दिल्ली के डिप्टी सीएम रह चुके हैं, ने अपना फोकस आप की सरकार और विकास कार्यों पर बनाए रखा था। लेकिन अलग-अलग कानूनी विवादों और पार्टी के आंतरिक मामलों ने उनकी राह रोकी।

मारवाह की वापसी ने बीजेपी के रणनीति के एक नये पहलू को उजागर किया, जहाँ उन्होंने अनुभवी उम्मीदवारों पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व शक्ति और भाजपा के संगठनात्मक जोश का श्रेय अपनी जीत को दिया।

इस चुनाव के दौरान मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा के चौकस इंतज़ाम किए गए थे। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और केन्द्रीय सुरक्षा बलों ने यहां सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित किया।

इस परिणाम ने न सिर्फ जंगपुरा में, बल्कि दिल्ली की राजनीति में भी नए संकेत छोड़े हैं, जहां बीजेपी ने एक बार फिर से अपनी पकड़ मजबूत कर ली है जबकि आम आदमी पार्टी को अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता होगी।

8 टिप्पणि

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    Priyanshu Patel

    फ़रवरी 9, 2025 AT 18:32
    ये तो बस दिल्ली की राजनीति का नया मूड है। जो लोग सोचते थे आम आदमी पार्टी हमेशा जीतेगी, उन्हें अब अपने नक्शे बदलने होंगे।
    मनीष सिसोदिया का नाम अभी भी बड़ा है, लेकिन लोग अब बातों के बजाय काम देख रहे हैं।
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    Gaurav Singh

    फ़रवरी 10, 2025 AT 17:32
    636 वोट में फर्क यानी एक बस के यात्री के बदलाव से पूरा नतीजा बदल गया
    अगर कोई आदमी बस में टिकट नहीं खरीदता तो बीजेपी की जीत हो जाती है
    ये चुनाव नहीं बल्कि एक टेस्ट केस है जहां वोटर ने बस एक निशान लगा दिया
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    ashish bhilawekar

    फ़रवरी 12, 2025 AT 11:18
    वाह भाई वाह!!! तरविंदर सिंह मारवाह ने तो बस एक लहर उठा ली और पूरी राजनीति हिल गई!!!
    ये तो बस नहीं बल्कि बिजली की चमक थी जिसने सिसोदिया के सारे नारे बुझा दिए!!!
    जब तक बीजेपी के घर में आग लगी नहीं तब तक लोग नहीं जागते थे!!!
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    Vishnu Nair

    फ़रवरी 14, 2025 AT 05:34
    अगर हम डीएनए लेवल पर देखें तो ये सिर्फ चुनाव नहीं बल्कि एक सामाजिक एल्गोरिथम का रिसेट है जिसमें वोटर्स के बीच एक कॉग्निटिव डिसोनेंस रिसोल्यूशन घटित हुआ है जिसके कारण एक नए न्यूरल पैटर्न का विकास हुआ है जो राजनीतिक लॉयल्टी के पारंपरिक फ्रेमवर्क को रिडिफाइन कर रहा है
    इसके पीछे एक डिजिटल इन्फोर्मेशन वॉरफेयर का फैक्टर भी है जिसमें सोशल मीडिया एक्टिवेशन ने एक अनप्रीडिक्टेबल एफेक्ट डाला है
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    Namrata Kaur

    फ़रवरी 14, 2025 AT 12:36
    कांग्रेस के 6500 वोट देखकर लगा जैसे किसी ने अपना वोट भूल गया हो।
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    Kamal Singh

    फ़रवरी 16, 2025 AT 05:41
    ये जीत सिर्फ तरविंदर सिंह की नहीं, बल्कि उनके लोकल नेटवर्क की है।
    जिन लोगों ने घर-घर जाकर बात की, जिन्होंने बाजार में बातचीत की, जिन्होंने बच्चों के स्कूल में बैठकर सुना - उन्हीं की मेहनत का नतीजा है ये।
    आम आदमी पार्टी ने तो बस टीवी पर नारे चिल्लाए, लेकिन यहां लोगों ने बात की, दिल लगाया।
    ये जीत नेतृत्व की नहीं, जुड़ाव की है।
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    Jasmeet Johal

    फ़रवरी 17, 2025 AT 15:34
    कांग्रेस वाले ने भी वोट दिए बीजेपी को तो फिर आम आदमी पार्टी को क्यों गिरना पड़ा
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    Abdul Kareem

    फ़रवरी 19, 2025 AT 00:06
    तरविंदर सिंह ने अपनी पिछली जीतों का इस्तेमाल किया और आम आदमी पार्टी के अंदरूनी झगड़ों का फायदा उठाया।
    ये बस एक चुनाव नहीं, एक संकेत है कि लोग अब नेता के नाम से नहीं, उनके रिकॉर्ड और उनकी लगन से फैसला कर रहे हैं।

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