मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में रचा इतिहास, भावुक सफलता में जीता कांस्य पदक

मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में रचा इतिहास, भावुक सफलता में जीता कांस्य पदक
29 जुलाई 2024 9 टिप्पणि Kaushal Badgujar

मनु भाकर की पेरिस ओलंपिक में ऐतिहासिक जीत

भारतीय निशानेबाज मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक 2024 में एक नई कहानी लिखी है। मात्र 22 साल की उम्र में उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। यह जीत उनके लिए खास इसलिए भी है क्योंकि यह भारत का इस ओलंपिक में पहला पदक है और ओलंपिक शूटिंग में 12 साल बाद कौनसा पदक आया है।

टोक्यो ओलंपिक से पेरिस ओलंपिक तक का सफर

मनु भाकर के लिए यह सफर आसान नहीं था। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक 2020 मेंअपनी प्रतिभा का परिचय देने का सपना देखा था। लेकिन वहां दुर्भाग्यवश वे फाइनल तक नहीं पहुंच पाईं क्योंकि उनकी बंदूक में खराबी आ गई थी। उस समय की निराशा ने उनको और मज़बूत बना दिया। उन्होंने अपने अनुभव से सीख लेकर पेरिस में बेहतरीन प्रदर्शन किया।

परिवार का संजीदगी और कोचिंग की भूमिका

मनु की सफलता के पीछे उनके परिवार और कोचिंग का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनके पिता राम किशन भाकर ने अपनी बेटी के करियर में सभी जन और आर्थिक बाधाओं को पार करते हुए उसको पूरी समर्थन दी। साथ ही, कोच जसपाल राणा ने मनु को प्रशिक्षण देते हुए उसकी क्षमताओं को निखारा।

पेरिस ओलंपिक 2024 की यादगार घड़ी

पेरिस ओलंपिक 2024 में मनु भाकर ने 580 स्कोर के साथ फाइनल में क्वालीफाई किया। फाइनल में उन्होंने 221.7 का शानदार स्कोर किया, जिससे उन्होंने कांस्य पदक जीता। यह पल मनु और उनके परिवार के लिए भावुकता भरा था। यह जीत उनके कठोर परिश्रम और दृढ़ संकल्प का परिणाम है।

अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान

इससे पहले भी मनु ने कई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम बढ़ाया है। उन्होंने 2018 में यूथ ओलंपिक गेम्स में स्वर्ण पदक जीता था और 2020 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह सिद्ध करता है कि मनु शुरुआत से ही एक प्रतिभाशाली निशानेबाज रही हैं।

भारतीय शूटिंग के भविष्य की आशा

मनु भाकर की इस जीत ने पूरे भारत को गर्व और खुशियों से भर दिया है। उनका यह कांस्य पदक न केवल उनके लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। उनकी सफलता से यह स्पष्ट होता है कि सही दिशा और समर्थन से कोई भी बाधा पार की जा सकती है। वह अब भविष्य में और भी बहुत कुछ कर सकती हैं, जिससे हमें उम्मीद है कि वह आने वाले ओलंपिक और अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी देश का नाम रोशन करती रहेंगी।

मनु की यह सफलता भारतीय शूटिंग के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। इससे भारतीय युवाओं को खेल के क्षेत्र में कदम रखने की प्रेरणा मिलेगी।

समाप्ति

अंततः, मनु भाकर की कहानी हार न मानने और लगातार मेहनत करने की प्रेरणा देती है। उनकी यह जीत भारतीय खेलों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और युवा खिलाड़ियों को यह सिखाती है कि कठिन परिश्रम और समर्पण से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

9 टिप्पणि

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    Paresh Patel

    जुलाई 30, 2024 AT 21:38
    ये लड़की तो सच में देश की गर्व है। बिना किसी बड़े सपोर्ट सिस्टम के इतना करना मुश्किल है। उसकी मेहनत देखकर लगता है कि हम सबको थोड़ा और जुनून चाहिए।
    कभी कभी लगता है कि हम खिलाड़ियों को बस पदक के बाद ही याद करते हैं।
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    anushka kathuria

    अगस्त 1, 2024 AT 15:43
    मनु भाकर की इस उपलब्धि को भारतीय खेल प्रशासन को एक महत्वपूर्ण संकेत मानना चाहिए कि निशानेबाजी जैसे खेलों को व्यवस्थित रूप से विकसित किया जाना चाहिए।
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    Noushad M.P

    अगस्त 3, 2024 AT 11:46
    ये सब बकवास है भाई। एक छोटी सी पिस्टल शूटिंग में पदक लाकर इतना जोश क्यों? हमारे फुटबॉल टीम को कोई ध्यान नहीं देता और यहां इतना फैंसी बना रहे हो। ये सब बस प्रचार है।
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    Sanjay Singhania

    अगस्त 5, 2024 AT 01:12
    इस जीत का सांस्कृतिक-प्राकृतिक अर्थ बहुत गहरा है। यह एक निश्चित अल्गोरिथ्म के अनुसार व्यक्तिगत अभिव्यक्ति का एक उच्च स्तरीय अभिव्यक्ति है, जो अभिनव विकासवाद के बारे में बात करता है।
    मनु की अवधारणा एक नए जन्म का प्रतीक है - एक निर्माणात्मक निश्चय का।
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    Raghunath Daphale

    अगस्त 5, 2024 AT 11:42
    अरे भाई ये तो बस एक पदक है। क्या ये इतना बड़ा बात बन गया? भारत में तो हर दिन कोई न कोई खिलाड़ी पदक लाता है। अब ये सब फेसबुक वाले लोगों को फीड में भर दिया जा रहा है। 😒
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    Renu Madasseri

    अगस्त 6, 2024 AT 15:39
    मनु के पिता की कहानी तो दिल छू गई। एक आम इंसान अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए सब कुछ त्याग देता है। ये देश की असली ताकत है।
    अगर हम इस तरह के परिवारों को समर्थन देंगे, तो भारत अगले ओलंपिक में टॉप 5 में जरूर आएगा।
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    Aniket Jadhav

    अगस्त 7, 2024 AT 09:04
    मैंने देखा जब वो फाइनल में शूट कर रही थीं। उसकी आंखों में कोई डर नहीं था। बस एक शांति थी। ऐसा लगा जैसे वो खेल नहीं, ध्यान कर रही थीं।
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    Anoop Joseph

    अगस्त 8, 2024 AT 14:13
    बहुत अच्छा। बधाई।
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    Kajal Mathur

    अगस्त 10, 2024 AT 09:31
    यह घटना भारतीय खेल प्रणाली की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को बढ़ाने का एक अत्यंत सूक्ष्म आंदोलन है, हालांकि इसके पीछे एक व्यवस्थित राष्ट्रीय नीति का अभाव अभी भी विद्यमान है।

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