राइस यूनिवर्सिटी में जुनटीन्थ पर स्वतंत्रता सेनानियों के भाषणों पर पैनल चर्चा
राइस यूनिवर्सिटी में जुनटीन्थ पर स्वतंत्रता सेनानियों के भाषणों पर पैनल चर्चा
राइस यूनिवर्सिटी ने जुनटीन्थ: संयुक्त राज्य अमेरिका में एक विशेष संघीय अवकाश, की महत्वपूर्णता को पहचानते हुए एक पैनल चर्चा का आयोजन किया। इस समारंभिक चर्चा को 'जुनटीन्थ और न्याय: ब्लैक संघर्ष, संविधान और लोकतांत्रिक भविष्य' शीर्षक दिया गया। इस पैनल चर्चा में विश्वविद्यालय और समुदाय के साझेदारों ने भाग लिया। पैनल के प्रमुख वक्ता अलेक्जेंडर बर्ड, केनिट्रा ब्राउन, शेरविन के. ब्रायंट, मैरी एलेन कर्टिन, किम्बर्ली वी. जोन्स, और ओमर सैयद मौजूद थे।
कार्यक्रम का विषय
पैनल चर्चा का मुख्य उद्देश्य था भूतपूर्व स्वतंत्रता सेनानियों फ्रेडरिक डग्लस, फेनी लू हेमर, और बारबरा जॉर्डन के भाषणों की विस्तृत जांच करना। इसका उद्देश्य यह समझना था कि इन प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों ने मुक्ति और लोकतांत्रिक भविष्य की कल्पना कैसे की थी। साथ ही, यह समझना भी आवश्यक था कि इन भाषणों का वर्तमान संघर्ष और न्याय की आवश्यकता के साथ क्या संबंध है।
प्रमुख बिंदु
अलेक्जेंडर बर्ड, जो विश्वविद्यालय के वाइस प्रोवोस्ट फॉर डाइवर्सिटी, इक्विटी और इन्क्लूज़न हैं, ने उद्घाटन में कहा कि 'हमें यह याद रखना चाहिए कि स्वतंत्रता सिर्फ एक लक्ष्य नहीं है, बल्कि यह एक सतत प्रक्रिया है।' इस चर्चा में बर्ड ने जोर दिया कि हमें स्वतंत्रता, न्याय और समानता के लिए भगवाधानी संबंधों का निर्माण करना चाहिए।
केनिट्रा ब्राउन ने फेनी लू हेमर के भाषणों पर जोर देते हुए कहा कि हेमर ने लालच, नस्लवाद और भेदभाव के विरुद्ध एक सशक्त आवाज़ उठाई थी। ब्राउन ने बताया, 'हेमर का सबसे बड़ा योगदान यह था कि उन्होंने उन आवाज़ों को अपनी आवाज़ दी जो अक्सर खामोशी में डूबी रहती थीं।'
शेरविन के. ब्रायंट ने फ्रेडरिक डग्लस के भाषणों की चर्चा करते हुए उनके संवैधानिक विचारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि डग्लस का मानना था कि संविधान को पुनः निर्धारित करने की आवश्यकता है ताकि यह समावेशी बने और सभी के अधिकारों की रक्षा कर सके।
मौन और संघर्ष
मैरी एलेन कर्टिन ने बारबरा जॉर्डन के भाषणों से जुड़े मौन और संघर्ष पर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा, 'बारबरा जॉर्डन ने राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर मुखर रहती थीं, लेकिन उन्होंने यह भी समझा कि कभी-कभी मौन भी एक सशक्त हथियार हो सकता है।'
किम्बर्ली वी. जोन्स ने न्याय और समानता पर जोर देते हुए कहा कि हमें अपने कानूनों और उनके पालन की प्रक्रिया पर सवाल उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने जोर देकर कहा, 'समाज में हर व्यक्ति को समान अधिकार और अवसर प्राप्त होना चाहिए।'
ओमर सैयद ने वर्तमान संघर्ष के समय में उम्मीद और संदेह की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, 'हमें एक अधिक न्यायसंगत समाज प्राप्त करने के लिए न केवल उम्मीद की आवश्यकता है बल्कि संदेह और जांच की भी।'
समारोह का महत्व
यह पैनल चर्चा राइस यूनिवर्सिटी की जुनटीन्थ समारोहों की एक श्रृंखला का हिस्सा थी। इन समारोहों का उद्देश्य स्वतंत्रता और समानता के महत्त्व को मनाना और उन्हें आगे बढ़ाना था। इस प्रकार के आयोजन समाज में जागरूकता बढ़ाने और विभिन्न समुदायों के बीच संवाद को प्रोत्साहित करने के लिए अनिवार्य हैं।
समारंभिक चर्चा के अलावा, कई अन्य सांस्कृतिक, शैक्षिक और विचार-विमर्शात्मक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। इसमें भाग लेकर समुदाय के लोग स्वतंत्रता, समानता और न्याय के प्रति अपनी जागरूकता और प्रतिबद्धता को और अधिक प्रबल कर सकते हैं।
संक्षेप में
जुनटीन्थ का यह समारोह न केवल भूतकाल के संघर्षों और सफलताओं को याद करने का अवसर है, बल्कि यह वर्तमान और भविष्य के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। श्रोता नई विचारधाराओं और दृष्टिकोणों को समझ सकते हैं और उन्हें अपने कार्यों और विचारों में शामिल कर सकते हैं। यह आयोजन समानता, न्याय और स्वतंत्रता के लिए सतत संघर्ष को समर्थन देने का एक उपुक्त मंच साबित हुआ।
इस प्रकार के आयोजन न केवल शिक्षा और समुदाय के बीच के समर्पण को प्रकट करते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि समाज एकजुट होकर समानता और न्याय के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है।
Madhav Garg
जून 21, 2024 AT 09:12Sumeer Sodhi
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