संयुक्त राज्य में 2025 में 6,000+ विदेशी छात्र वीजा रद्द, भारतीय छात्रों को भारी नुकसान
संयुक्त राज्य में 2025 की शुरुआत में इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) ने एक रहस्यमयी अल्गोरिद्म के ज़रिए 6,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्र वीज़ा रद्द कर दिए, जिसमें लगभग आधे भारतीय छात्रों का नाम आया। यह कदम न सिर्फ़ व्यक्तिगत भविष्य को धूमिल कर रहा है, बल्कि अमेरिकी शिक्षा‑आधार को भी गंभीर आर्थिक झटके का सामना करवा रहा है।
पृष्ठभूमि और नई नीति का उदय
ट्रम्प प्रशासन ने 2024 के अंत में वैधता‑समीक्षा प्रक्रिया को तेज़ करने के नाम पर स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विज़िटर प्रोग्राम (SEVP) को "अन्य" श्रेणी का नया कोड दिया। इस कोड को स्कूल के प्रतिनिधियों (DSOs) के सामने नहीं दिखाया जाता, जिससे ICE को बिना किसी संस्थागत जाँच के SEVIS रिकॉर्ड रद्द करने की सुविधा मिली। एमी मालडोना, एक प्रवास विशेषज्ञ ने कहा, "वे कुछ तरह का अल्गोरिद्म इस्तेमाल करते हैं जो छोटे ट्रैफ़िक टिकेट से लेकर अपराधी डाटाबेस तक की हर चीज़ को स्कैन करता है।"
विस्तृत आँकड़े और अल्गोरिद्म का काम
- कुल 6,200+ वीज़ा रद्द, जिनमें से 1,800+ SEVIS रिकॉर्ड सीधे ICE ने समाप्त किए।
- लगभग 4,000 केस को "अपराधिक गतिविधि" के आधार पर रद्द किया गया, जबकि 200‑300 केस को "आतंकवाद समर्थन" का आरोप लगाया गया।
- भारत से आए छात्रों ने 50% से अधिक रद्दीकरण का हिस्सा संभाला, जबकि कुल भारतीय छात्रों की संख्या 330,000‑plus थी।
ऐसे अल्गोरिद्म ने FBI के नेशनल क्राइम इन्फॉर्मेशन सेंटर (NCIC) और स्थानीय पुलिस रिकॉर्ड को मिलाकर मामूली ट्रैफ़िक उल्लंघन, ख़ारिज किए गए केस या सिर्फ़ गवाह की सूची को भी "संदेहास्पद" मान लिया। इससे अधिकतर छात्रों को बिना किसी सुनवाई या अपील के अवसर के निरंतरता‑रहित जीवन का सामना करना पड़ा।
व्यक्तिगत कहानी: कैशिक राज का अनुभव
27‑वर्षीय भारतीय छात्र कैशिक राज ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में $100,000 की स्कॉलरशिप जीत ली थी। हालांकि, 21 अगस्त को नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास से उन्हें "भारत से पर्याप्त बंधन नहीं" का कारण देकर वीज़ा अस्वीकार कर दिया गया। राज ने कहा, "मेरी सोशल मीडिया पोस्ट्स, जो भारतीय मुस्लिम अल्पसंख्यकों के प्रति मेरे विचार दर्शाती थीं, शायद कारण बन गईं।" उनका मामला इस नई नीति का सबसे स्पष्ट उदाहरण बन गया।
उच्च शिक्षा संस्थानों की प्रतिक्रिया
अमेरिकन काउंसिल ऑन एजुकेशन (ACE) के अध्यक्ष टेड मिशेल ने 4 अप्रैल, 2025 को विदेश मामलों के सचिव मार्को रूबियो और होमलैंड सेक्योरिटी सचिव क्रिस्टी नोएम को एक त्वरित ब्रीफिंग की मांग की। पत्र में कहा गया, "विदेशी छात्र वीज़ा रद्दीकरण के कारण संस्थानों को छात्रों को तुरंत भेजे जाने की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जिससे अकादमिक स्थिरता पर असर पड़ रहा है।" इस कार्रवाई के बाद कई विश्वविद्यालयों ने छात्रों को वैकल्पिक स्थिति प्रदान करने और कानूनी सहायता देने का वादा किया।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
विशेषज्ञों का अनुमान है कि वीज़ा रद्दीकरण से 2025‑26 के शैक्षणिक वर्ष में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या 30‑40% कम हो सकती है, यानी लगभग 150,000 कम छात्र आएँगे। इस घटाव से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लगभग $7 अरब की आय में कमी का जोखिम है। छात्र खर्च, आवास, स्थानीय व्यवसायों और शोध फंडिंग पर यह प्रभाव गहरा होगा।
भविष्य की दिशा और संभावित चुनौतियाँ
ट्रम्प प्रशासन अभी H‑1B वीज़ा प्रणाली को भी पुनर्रचना की योजना बना रहा है, जिससे तकनीकी क्षेत्रों में नौकरियों की कमी हो सकती है। यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो संयुक्त राज्य अमेरिका को बहु‑राष्ट्रीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धी प्रतिभा को आकर्षित करने में बाधा आएगी। वहीं, भारतीय छात्रों की आवाज़ में वृद्धि हो रही है; कई दलों ने कानूनी चुनौती और संसद में पूछताछ का प्रस्ताव रखा है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्यों भारतीय छात्रों की संख्या सबसे अधिक प्रभावित हुई?
भारत से अमेरिकी विश्वविद्यालयों में सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय छात्र समूह है, लगभग 330,000 छात्र पढ़ते हैं। इसलिए कुल रद्दीकरण में भारतीय छात्रों का अनुपात स्वाभाविक रूप से उच्च रहा, जबकि अल्गोरिद्म ने छोटी‑छोटी अपराधियों को भी लक्षित किया।
क्या छात्रों को रद्दीकरण के खिलाफ अपील करने का कोई रास्ता है?
वर्तमान प्रक्रिया में ICE ने कोई सुनवाई या अपील का अवसर नहीं दिया। कई विश्वविद्यालयों ने कानूनी सहायता प्रदान करने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन आधिकारिक तौर पर सरकार ने अभी तक कोई पुनरावलोकन प्रक्रिया नहीं दी है।
यह नीति अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करेगी?
विदेशी छात्रों के खर्च, प्रवासियों द्वारा किए जाने वाले शोध और स्थानीय व्यवसायों का राजस्व घटेगा। विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार, 2025‑26 में कुल आर्थिक नुकसान लगभग $7 बिलियन हो सकता है।
क्या इस कदम को प्रतिबंधित करने के लिए कोई कानूनी चुनौती है?
कई छात्र वकीलों ने मौलिक अधिकारों, विशेषकर उचित प्रक्रिया (Due Process) के उल्लंघन के तहत मुकदमा दायर करने की घोषणा की है। सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे की सुनवाई अगले साल के पहले भाग में होने की संभावना है।
भविष्य में क्या इस नीति में कोई बदलाव आ सकता है?
यदि व्यापक प्रतिकूल प्रतिक्रिया और आर्थिक नुकसान स्पष्ट हो जाता है, तो कांग्रेस या राष्ट्रपति कार्यालय से नीति के संशोधन की मांग आती है। अभी की स्थिति में, परिवर्तन की संभावना अस्पष्ट है।
Surya Prakash
अक्तूबर 5, 2025 AT 21:47देश के प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए हमें ऐसी नीतियों की कड़ी निंदा करनी चाहिए। वीज़ा रद्दीकरण से छात्रों के भविष्य पर बुरा असर पड़ेगा।
Sandeep KNS
अक्तूबर 11, 2025 AT 23:29अत्यंत विनम्रता के साथ कहना पड़ेगा कि यह प्रशासनिक कार्यवाही एक “स्मार्ट” रणनीति प्रतीत होती है, जबकि वास्तविकता में यह एक शर्मनाक पक्षपात है। इस “उन्नत” अल्गोरिद्म की कार्यक्षमता पर सवाल उठाना अनिवार्य है।
Ayan Kumar
अक्तूबर 18, 2025 AT 01:12यह घटना बस एक कागज़ी निर्णय नहीं, बल्कि हमारी शैक्षणिक स्वतंत्रता के खिलाफ एक खुला आक्रमण है।
अमेरिकी विश्वविद्यालयों ने हमेशा अन्तरराष्ट्रीय छात्रों को अपनी ताकत माना है, पर अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वे हमें बाहर निकालना चाहते हैं।
ICE द्वारा इस्तेमाल किया गया अल्गोरिद्म छोटी-छोटी भूल-चूकों को भी “संदेहास्पद” करके लिस्ट में डाल देता है।
ऐसी नीतियाँ न केवल व्यक्तिगत भविष्य को धूमिल करती हैं, बल्कि संपूर्ण शैक्षिक माहौल को भी भ्रष्ट करती हैं।
कई छात्र, जिनके पास पहले से ही वित्तीय दबाव है, अब अपने सपनों को तीखा चाकू जैसा देख रहे हैं।
प्रबंधन स्तर पर इस तरह की अंधाधुंध कार्रवाई से विश्वविद्यालयों की विश्वसनीयता घटेगी।
अगर हम इस तरह के “डेटा‑ड्रिवेन” निर्णयों को चुनौती नहीं देंगे, तो आगे भी ऐसे बड़े प्रोजेक्ट्स को खतरा बनते रहेंगे।
सरकार को यह समझना चाहिए कि शैक्षिक उत्थान को आर्थिक लाभ से नहीं, बल्कि ज्ञान के आदान‑प्रदान से मापना चाहिए।
वैधता‑समीक्षा प्रक्रिया को तेज़ करने के नाम पर हद से अधिक दमनात्मक कदम उठाना खतरनाक है।
यह केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक असमानता का भी परिचायक है।
कई भारतीय छात्रों ने इस पर देस‑विदेश में कानूनी मदद की अपील की है, पर अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं दिखा।
यह अल्गोरिद्म कहा जाता है कि “सभी डेटा को स्कैन करता है”, पर वास्तव में यह केवल सटीकता के बजाय भय फैलाने के लिए बना है।
इन छात्रों की आवाज़ को दबाकर सरकार आर्थिक नुकसान को भी अपने कंधों पर ले रही है।
हमें मिलजुल कर इस अनैतिक नीति का प्रतिकार करना चाहिए, चाहे वह कानूनी लड़ाई हो या सार्वजनिक विरोध।
अंततः, शिक्षा का उद्देश्य किसी की राष्ट्रीयता नहीं, बल्कि मानवता की प्रगति है, और इसे कभी भी नीति‑तंत्र के पाँव में नहीं रखना चाहिए।
Nitin Jadvav
अक्तूबर 24, 2025 AT 02:55हाहा, Ayan भाई की ड्रमाजेक बातों में दिल जीत लिया, पर असली काम है इन छात्रों को वैकल्पिक स्कॉलरशिप दिखाना। अगर कोई मदद चाहिए तो बताओ, हम मिलके इस “अल्गोरिद्मिक” अंधियारे को दूर करेंगे।
Arun kumar Chinnadhurai
अक्तूबर 30, 2025 AT 04:38यदि आप वीज़ा रद्दीकरण से प्रभावित हुए हैं तो सबसे पहले अपने विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय छात्र विभाग से संपर्क करें। कई संस्थानों ने कानूनी सलाहकार नियुक्त कर रखा है, जो आप की अपील प्रक्रिया में मदद कर सकते हैं। साथ ही, आप NAFSA जैसी गैर‑सरकारी संगठनों से भी सहायता ले सकते हैं।
Aayush Sarda
नवंबर 5, 2025 AT 06:21यह नीति हमारे राष्ट्र की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का स्पष्ट प्रयास है; हमें एकजुट होकर इस अन्याय का विरोध करना चाहिए। अमेरिकी सरकार को याद दिलाना होगा कि भारतीय विद्यार्थियों का योगदान न केवल शैक्षणिक बल्कि आर्थिक भी है, और इस प्रकार के निराधार कदम वहन नहीं किए जा सकते।
Mohit Gupta
नवंबर 11, 2025 AT 08:04यार क्या बकवास है ये सब, अब तो बच्चा भी नहीं पढ़ पाएगा… बहुत बेकार है ये नीति.
Varun Dang
नवंबर 17, 2025 AT 09:47आशा है कि इस मुद्दे पर सार्वजनिक दबाव बढ़ते ही कांग्रेस और राष्ट्रपति कार्यालय इस नीति को पुनः मूल्यांकन करेंगे। छात्रों की पढ़ाई और भविष्य सुरक्षित रहे, यही हमारी सबसे बड़ी इच्छा है।