120Hz डिस्प्ले: तेज़ रिफ्रेश रेट का असली असर
अगर आप नया फ़ोन या मॉनिटर खरीदने की सोच रहे हैं तो "120Hz डिस्प्ले" अक्सर विज्ञापनों में दिखेगा। लेकिन इस टॉपिक पर थोड़ा गहराई से बात करना ज़रूरी है, ताकि आप समझ सकें कि यह फीचर आपके उपयोग में कैसे फर्क लाता है।
120Hz का मतलब क्या?
रिफ्रेश रेट बताता है कि स्क्रीन एक सेकंड में कितनी बार अपनी छवि बदलती है। सामान्य फ़ोन में 60Hz रेट होता है, यानी स्क्रीन हर सेकंड 60 बार अपडेट होती है। 120Hz का मतलब है कि स्क्रीन 120 बार अपडेट होगी, यानी दो गुना तेज़ रिफ्रेश। इसका असर हर बार जब आप स्क्रॉल करते हैं, गेम खेलते हैं या वीडियो देखते हैं, स्पष्ट रहता है।
कब और क्यों चाहिए 120Hz?
अगर आप बहुत सारा वीडियो स्ट्रीमिंग, एनीमेशन या हाई‑एंड गेमिंग करते हैं, तो 120Hz स्क्रीन आपको फ़्लुइड अनुभव देती है। तेज़ स्क्रॉलिंग में टेक्स्ट या इमेज़ फ्रीज़र कम दिखते हैं, और टच रेस्पॉन्स भी तीखा महसूस होता है। सोशल मीडिया पर फ़ीड स्क्रॉल करते समय या मैसेज टाइप करते समय यह अंतर स्पष्ट दिखता है।
लेकिन अगर आपका फ़ोन मुख्यतः कॉल, मैसेज और हल्की ब्राउज़िंग के लिए है, तो 120Hz की ज़रूरत कम हो सकती है। इस केस में 60Hz वाला मॉडल अक्सर सस्ता और बैटरी लाइफ़ बेहतर देता है।
एक और बात ध्यान में रखें: 120Hz रेट का फायदा तभी मिल रहा है जब कंटेंट भी उसी रेट पर बना हो। अधिकांश यूट्यूब वीडियो 60Hz पर रेंडर होते हैं, इसलिए सिर्फ फ़ोन पर 120Hz रख कर फ़ायदा नहीं मिल सकता। लेकिन कई गेम और कुछ विशेष वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म (जैसे यूट्यूब प्रीमियम) 120Hz सपोर्ट करते हैं।
डिवाइस चुनते समय स्क्रीन साईज़, पिक्सेल काउंट और पिक्चर क्वालिटी भी देखनी चाहिए। हाई रेज़ॉल्यूशन (Full HD+ या Quad HD) और 120Hz का कॉम्बिनेशन सबसे स्मूद विज़ुअल दे सकता है, लेकिन इससे बैटरी ड्रेनेज भी तेज़ हो सकता है। इसलिए बैटरी कैपेसिटी (लगभग 4500 mAh या उससे ज़्यादा) वाला फ़ोन चुने, या ऐसी बैटरी‑सेविंग मोड देखें जो रिफ्रेश रेट को ऑटो‑एडजस्ट कर सके।
अगर आप गेमिंग की शौकीन हैं, तो 120Hz की महत्ता और भी बढ़ जाती है। फ़र्स्ट‑पर्सन शूटर या रेसिंग गेम में हर फ्रेम का फर्क दिखता है। स्मूथ मूवमेंट से रेफ़्लेक्स बेहतर होते हैं और गैिमप्ले कम लैग महसूस होता है। कई फ़ोन अब "120Hz एन्हांस्ड मोड" के साथ आते हैं, जहाँ रिफ्रेश रेट केवल गेम मोड में ही बढ़ाया जाता है, जिससे बैटरी बची रहती है।
सिर्फ रिफ्रेश रेट नहीं, बल्कि टच‑सैंपलिंग रेट (उसे टच रिस्पॉन्स कहते हैं) भी मायने रखती है। टच‑सैंपलिंग रेट जितनी ज़्यादा, उतनी ही तेज़ टच डिटेक्शन। कई 120Hz डिवाइस टच‑सैंपलिंग भी 240Hz या उससे ऊपर रखते हैं, जिससे टच-इनपुट लगने में लगने वाला लॅग कम हो जाता है।
खरीदारी के समय कुछ और चीजें देखें:
- डिस्प्ले टाइप: AMOLED या सुपर AMOLED बेहतर कलर और कॉन्ट्रास्ट देता है, जबकि LCD कम महंगा पर कभी‑कभी स्पेक्ट्रम में थोड़ा पीछे रहता है।
- HDR सपोर्ट: HDR10+ या डॉल्बी विज़न सपोर्ट करने वाले डिस्प्ले में रंग अधिक सजीव दिखते हैं।
- सॉफ्टवेयर ऑप्टिमाइज़ेशन: निर्माताओं की UI में रिफ्रेश रेट को डाइनमिकली एडजस्ट करने की सुविधा देखें, जैसे Samsung का "Adaptive Refresh" या OnePlus का "Fluid OS"।
अंत में, 120Hz डिस्प्ले एक हाई‑अवे फीचर है, लेकिन ज़रूरी नहीं हर कोई इसे महसूस करे। अपने यूज़ पैटर्न को देख कर तय करें कि आपको फ़्लुइड एनीमेशन, तेज़ स्क्रॉलिंग और गेमिंग में फ़ायदा चाहिए या नहीं। अगर हाँ, तो एक ऐसा फ़ोन या मॉनिटर चुनें जिसमें 120Hz के साथ ऊपर बताए गए बाकी पहलू भी हों। इससे आप बेहतर व्यूइंग एक्सपीरिएंस के साथ बैटरी लाइफ़ को भी संतुलित रख पाएँगे।