अहोर अष्टमी 2025: 13 अक्टूबर को शुभ योग, पूजन मुहूर्त और कथा
13 अक्टूबर 2025 को अहोर अष्टमी, रवि योग के साथ, 5:53‑7:08 PM के शुभ मुहूर्त में माँ‑बच्चे के स्वास्थ्य हेतु नीरजा व्रत और पूजा का त्योहार।
जब बात अहोर अष्टमी, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण अष्टमी है जो विशेष व्रत और पूजा के साथ मनाई जाती है, Also known as अहोरा अष्टमी हो, तब यही वह समय होता है जब कई घरों में विशेष भजन और अनुष्ठान होते हैं। इस दिन का निर्धारण हिन्दू कैलेंडर, चांद्र मासिक पर आधारित परम्परागत तारीखीय प्रणाली के अनुसार होता है, इसलिए हर साल तिथि बदलती है।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार अहोर अष्टमी शुक्ल पक्ष की अष्टमी को पड़ती है, जो अक्सर कार्तिक या आश्विन महीने में आती है। इस अष्टमी का सबसे बड़ा संबंध व्रत, धार्मिक उपवास जो आत्मा शुद्धि के लिए करते हैं से है—बहुत से भक्त इस दिन स्नान करके, शुद्ध भोजन कर, भगवान शिव या देवी शक्ति की आरती करते हैं। व्रत का मुख्य उद्देश्य मन को शांति देना और घर में सकारात्मक ऊर्जा लाना है।
पारम्परिक रूप से अहोर अष्टमी पर पूजा, धार्मिक अनुष्ठान जिसमें भक्त भगवान को समर्पित करते हैं की जाती है। मुख्य देवता अक्सर शिव या माँ अंबिका होते हैं, और साथ में भजन, धार्मिक गान जो भक्तियों को जोड़ते हैं गाए जाते हैं। कई घरों में पवित्र चन्दन का धूप लगाकर, कलश में जल भरकर, और दीप जलाकर प्रस्तुति की जाती है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से इस दिन हल्का फल‑सब्ज़ी वाला भोजन, नारियल पानी और पंचामृत का सेवन शुभ माना जाता है।
आजकल सोशल मीडिया ने अहोर अष्टमी को नई दिशा दी है—युवा वर्ग ऑनलाइन लिवestream पूजा, गीत और व्याख्यान देख रहा है। छोटे‑बड़े शहरों में सामुदायिक मंदिरों में एकत्र हो कर बड़े पैमाने पर अष्टमी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिससे सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं। इस तरह का सामुदायिक भागीदारी न केवल परम्परा को जीवित रखती है, बल्कि लोगों को एक साथ आशा और शांति का अनुभव भी देती है।
अब आप इस पेज पर आगे देखेंगे कि विभिन्न लेखों में अहोर अष्टमी की विभिन्न पहलुओं, जैसे इतिहास, रीतिरिवाज़, स्वास्थ्य लाभ और श्रद्धा की कहानियाँ कैसे उजागर की गई हैं। इन गाइड्स को पढ़कर आप अपने व्रत, पूजा और सामाजिक कार्यक्रमों को और भी सहजता से योजना बना पाएँगे।
13 अक्टूबर 2025 को अहोर अष्टमी, रवि योग के साथ, 5:53‑7:08 PM के शुभ मुहूर्त में माँ‑बच्चे के स्वास्थ्य हेतु नीरजा व्रत और पूजा का त्योहार।