सौम्य सारकार ने दुहेरी सेंचूरी से अभाणि को 20वाँ डिपीडीसीएल खिताब दिलाया
24 अप्रैल 2019 को सौम्य सारकार ने अभाणि को 20वाँ DPDCL खिताब दिलाते हुए बांग्लादेश के इतिहास में पहली लिस्ट‑ए दुहेरी सेंचूरी बनायी।
जब दुहेरी सेंचूरी, क्रिकेट में एक ही इनिंग में दो शतक (200 रन) बनाने का दुर्लभ उपलब्धि. Also known as डबल सेंचुरी, it represents a benchmark that few batters ever reach, especially in टेस्ट मैच, क्रिकेट का सबसे लंबा फ़ॉर्मैट, जहाँ धैर्य और तकनीक का मिलना ज़रूरी है.
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए खिलाड़ी को सिर्फ स्ट्राइक‑रेट नहीं, बल्कि क्रिकेट, एक खेल जिसमें बैट, बॉल और फील्डर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं की विभिन्न स्थितियों को समझना पड़ता है। दो शतक बनाने वाले बैट्समैन अक्सर अपनी पिच समझ, शॉट चयन और थकान प्रबंधन में माहिर होते हैं। यही कारण है कि दुहेरी सेंचूरी का रिकॉर्ड अक्सर टेस्ट‑क्रिकेट में ही देखा जाता है, जहाँ पिच धीरे‑धीरे बदलती है और गेंदबाजों की विविधता बढ़ती है।
पहला पहलू है स्थिति‑संज्ञान – कब आक्रमण करना है और कब बचाव में रहना है, इसका सही निर्णय चाहिए। दूसरा है शारीरिक सहनशक्ति, क्योंकि दो शतक बनाने में कई घंटे लगते हैं; खिलाड़ी को दोनों इनिंग्स की चुनौती को झेलना पड़ता है। तीसरा, रणनीतिक साझेदारी – अक्सर दुहेरी सेंचूरी अकेले नहीं, बल्कि बड़े साझेदारी (जैसे 150+ रन) के साथ बनती है। यही कारण है कि भारत की टीम में कई बार जब शतक को आगे बढ़ाने की जरूरत पड़ी, तो दो शतक के साथ साथ टीम का स्कोर भी बढ़ा।
हैदराबाद (हेडिंगली) में भारत ने 359/3 से जीत की दिशा में कदम बढ़ाया, जहाँ शुभमन गिल की 127 और जैसवाल की 110 ने दुहेरी सेंचूरी की चर्चा में इंधन दिया। इसी तरह, न्यूज़ीलैंड की महिला टीम ने विश्व कप में कई शतकों के साथ अपनी जीत को पक्का किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दुहेरी सेंचूरी सिर्फ पुरुष क्रिकेट तक सीमित नहीं। इस बात से पता चलता है कि भारत, दक्षिण एशिया का प्रमुख क्रिकेट राष्ट्र, अपने खिलाड़ियों को दुहेरी सेंचूरी तक पहुँचाने के लिए प्रशिक्षण और रणनीति में निवेश करता है।
एक और रोचक आयाम है टेंडुलकर‑एंडरसन ट्रॉफी, जो भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट‑क्रिकेट का परम्परागत मुकाबला है। इस ट्रॉफी में दो शतक बनाने वाले खिलाड़ियों ने न सिर्फ व्यक्तिगत शान पाई, बल्कि सीरीज़ का परिणाम भी बदला। उदाहरण के तौर पर, जब कोई खिलाड़ी दुहेरी सेंचूरी बनाता है, तो टीम के जीत की संभावनाएँ लगभग 85% तक बढ़ जाती हैं, जैसा कि कई ऐतिहासिक डेटा से पता चलता है।
हालिया आँकड़े दिखाते हैं कि 2025 में दुहेरी सेंचूरी बनाने वाले खिलाड़ियों की औसत स्ट्राइक‑रेट 55.7 थी, जबकि सामान्य शतक बनाने वाले खिलाड़ियों की औसत 48.3 थी। यह अंतर दर्शाता है कि दो शतक बनाने वाले बैट्समैन अधिक आक्रामक होते हैं, लेकिन फिर भी टिके रहने की क्षमता रखते हैं। इसके साथ ही, उनके गोल्डन डिलीवरी की दर (बॉल‑पर‑रन) भी कम रहती है, जिससे टीम की रन‑रेट स्थिर रहती है।
यदि आप खुद को दुहेरी सेंचूरी की दुनिया में डुबोना चाहते हैं, तो नीचे दी गई पोस्ट्स की सूची आपके लिए एक खज़ाना है। यहां आप विभिन्न मैचों में दो शतक बनाने वाले खिलाड़ियों के अंतर्दृष्टि, उनके तकनीकी टिप्स, और पिच के अनुकूलन के बारे में पढ़ेंगे। चाहे आप स्टेडियम में हों या घर में स्क्रीन पर खेल देख रहे हों, यह गाइड आपके क्रिकेट ज्ञान को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा। अब आगे स्क्रॉल करके देखें कि वर्तमान में कौन से खिलाड़ी ने दुहेरी सेंचूरी हासिल की और उनका खेल‑विश्लेषण कैसे किया गया।
24 अप्रैल 2019 को सौम्य सारकार ने अभाणि को 20वाँ DPDCL खिताब दिलाते हुए बांग्लादेश के इतिहास में पहली लिस्ट‑ए दुहेरी सेंचूरी बनायी।