गंभीर चोटें – तुरंत क्या करना चाहिए?
जब अचानक कोई गहरी चोट लगती है, तो घबराना आसान है, लेकिन सही कदम जल्दी उठाना बहुत जरूरी है। यहाँ हम बात करेंगे कि कौन‑सी चोटें ‘गंभीर’ मानी जाती हैं, पहले 5 मिनट में क्या करना चाहिए, और डॉक्टर कब बुलाना है। पढ़ते‑ही पढ़ते आप समझ पाएँगे कि आप या आपका कोई आस‑पास वाला सुरक्षित हाथों में है।
कौन‑सी चोटें ‘गंभीर’ हैं?
सभी चोटें दर्द देती हैं, पर कुछ में रक्तस्राव, असामान्य सूजन या शरीर के काम करने के तरीके पर असर पड़ता है। अक्सर देखा गया:
- खोपड़ी पर गहरा ज़ख्म या सिर पर चोट, जिससे उलझन, उल्टी या आँखों का धुंधलापन हो।
- हड्डी टूटना (फ्रैक्चर) – खासकर कलाई, इश्क़िया या पैर की हड्डी।
- गहरी कट या जलन, जहाँ रक्त बह रहा हो या त्वचा पूरी तरह से खुली हो।
- पेट या छाती पर तेज़ दर्द, जिससे सांस लेने में दिक्कत या हृदय‑संबंधी समस्या का संदेह हो।
- गंभीर मोच, जहाँ अंग अचानक झुका हो और हिलाना दुष्कर हो।
इनमें से कोई भी संकेत मिले तो इसे ‘गंभीर’ मानें और तुरंत कार्रवाई करें।
पहले 5‑10 मिनट में क्या करें?
1. शांत रहें और मदद बुलाएँ – 112 (अमरावती) या 108 (एम्बुलेंस) पर कॉल करें। दुर्घटना के स्थान को स्पष्ट बताएँ, चोट की गंभीरता बताएँ।
2. रक्तस्राव रोकें – साफ़ कपड़े या बैंडेज से ज़ख्म को हल्के से दबाएँ। बहुत ज़्यादा दबाव न दें, बस रक्त को धीमा करने की कोशिश करें।
3. हिलाना‑डुलाना बंद करें – अगर हड्डी टूटी हो तो पैर या हाथ को जितना संभव हो स्थिर रखें। अगर गर्दन या रीढ़ में चोट का संदेह हो तो बिना हिलाए जितना हो सके समर्थन दें।
4. शीतल पैक लगाएँ – सूजन कम करने के लिए साफ़ कपड़े में बर्फ या ठंडा पैक रखें, लेकिन सीधे त्वचा पर नहीं। 15‑20 मिनट तक लगाएँ, दो‑तीन बार दोहराएँ।
5. बेहोशी या उलझन के लक्षण देखें – अगर व्यक्ति बेहोशी की ओर जा रहा हो, तेज़ दिल की धड़कन, या बात नहीं कर पा रहा हो तो एम्बुलेंस आने तक उसे साइड‑लेटर (पक्षी‑स्थिति) में रखें।
इन बुनियादी कदमों से आप जीवना‑रक्षक प्राथमिक उपचार (first aid) का काम पूरा कर लेते हैं।
डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?
कुछ संकेत होते हैं जो तुरंत अस्पताल ले जाने की जरूरत बताते हैं:
- रक्तस्राव नहीं रुक रहा हो या बहुत तेज़ बह रहा हो।
- हड्डी टुटी हो और अंग में असामान्य आकार या मोड़ दिख रहा हो।
- छाती में धड़कन के साथ दर्द, सांस की तकलीफ या हृदय‑संबंधी लक्षण।
- सिर पर तेज़ दर्द साथ में उलझन, बोलने में गड़बड़ी या आँखों में धुंधलापन।
- गहरी जलन जहाँ त्वचा को चिपकने वाला द्रव लगा हो या पैरों में झुनझुनाहट।
इन परिस्थितियों में समय न गंवाएँ – एम्बुलेंस बुलाएँ या सीधे आपातकालीन विभाग में जाएँ।
घर पर देखभाल के कुछ टिप्स
डॉक्टर से मिलने के बाद भी घर पर देखभाल जरूरी है। सूजन कम रखने के लिए इंजरी वाले हिस्से को ऊपर उठाएँ, हल्के‑हल्के कम्प्रेस (हल्का दबाव) दें, और दर्द कम करने के लिये डॉक्टर की सलाह से दर्द निवारक दवा लें। रोगी को अधिक देर तक बिस्तर पर न रहने दें – हल्के‑हल्के व्यायाम या फिजियोथेरेपी मदद कर सकते हैं।
अगर चोट के बाद कोई नया लक्षण दिखे – जैसे तेज़ बुखार, लालिमा, या दर्द बढ़ना – तो तुरंत डॉक्टर को बताएँ।
भविष्य में चोटों से बचाव
एक छोटी सी सावधानी बड़ी चोटों को रोक सकती है।
- सड़क पर गाड़ी चलाते समय हेल्मेट, सीटबेल्ट और पैदल यात्रियों को हेल्मेट (साइकिल) पहनना न भूलें।
- घर के अंदर फिसलन‑रोधी मैट रखें, विशेषकर बाथरूम और रसोई में।
- किसी भी खेल या एक्सरसाइज़ से पहले वार्म‑अप जरूर करें।
- बच्चों की खेल जगह में तेज़ किनारों या आसान‑टूटने वाले खिलौने न रखें।
इन आसान आदतों से आप या आपके परिवार के सदस्य कई ‘गंभीर चोटों’ से बच सकते हैं। याद रखें, चोट लगते ही सही कदम उठाना सबसे बड़ी सुरक्षा है।