अहोर अष्टमी 2025: 13 अक्टूबर को शुभ योग, पूजन मुहूर्त और कथा
13 अक्टूबर 2025 को अहोर अष्टमी, रवि योग के साथ, 5:53‑7:08 PM के शुभ मुहूर्त में माँ‑बच्चे के स्वास्थ्य हेतु नीरजा व्रत और पूजा का त्योहार।
जब आप पूजन मुहूर्त, शारीरिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिये सबसे अनुकूल समय, भी कहा जाता है शुभ समय की बात करते हैं, तो इसका मतलब सिर्फ कैलेंडर नहीं, बल्कि पंचांग, हिंदू कैलेंडर जो तिथि, नक्षत्र और योग बताता है और ज्योतिष, ग्रहों की गति से जीवन के पहलुओं का विश्लेषण से जुड़ा होता है। पूजन मुहूर्त निर्धारित करता है कब शांति और लाभ मिलता है (Subject‑Predicate‑Object)। इस कारण, हर घर में पूजा, हवन या किर्बान कब करना है, इसका सटीक ज्ञान होना जरूरी है।
मुख्य तत्वों में तिथि, कलेंडर की संख्या जो दिन को चिन्हित करती है और नक्षत्र, आकाशीय मंडल जो ग्रहों की स्थिति दर्शाता है शामिल हैं। तिथि चक्र 15 दोहरे भागों में बँटा है – शुक्ल और कृष्ण। प्रत्येक भाग में पाँच ‘अहोरात्र’ होते हैं, जिनके लिये अलग‑अलग शास्त्रीय सलाह है। नक्षत्रों की राह तय करती है कौन‑से योग‑फाल्गुन या ‘विकारी’ समय है (Entity‑Attribute‑Value)। उदाहरण के तौर पर, जब रोहिणी या मध्या नक्षत्र पर सूर्य उगता है, तो वह समय दैनिक कार्यों के लिये अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
ग्रहों की गति, विशेषकर शनि, मंगल और बृहस्पति, मुहूर्त की गुणवत्ता पर असर डालते हैं। शुक्र की दृष्टि में रहने वाला शुभ मुहूर्त आर्थिक लाभ और रिश्तों में मधुरता लाता है, जबकि शनि का प्रभाव अनुशासन और दीर्घकालिक सफलता में मदद करता है। यह समझना कि कौन‑से ग्रह किस तिथि और नक्षत्र में हों, आपको जल्दी निर्णय लेने में मदद करता है। जब आप शुभ मुहूर्त, ऐसे समय जब सभी ग्रह सकारात्मक लहरें उत्पन्न करते हैं को अपनाते हैं, तो पूजा के फलस्वरूप स्वास्थ्य में सुधार, मन में शांति और घर में सुखी माहौल देखते हैं। इस कारण, कई परिवार हर महीने की शुरुआत में पंचांग देख कर अगले दो‑तीन हफ्तों के सबसे अनुकूल मुहूर्त चुनते हैं।
व्यावहारिक रूप से, पूजन मुहूर्त का चयन तीन चरणों में किया जा सकता है: 1) पंचांग की तिथि‑नक्षत्र‑योग जानकारी एकत्र करें, 2) ग्रहों की स्थितियों को जाँचें – विशेषकर शुक्र, शनि और बृहस्पति, 3) विशेषज्ञ ज्योतिषी या भरोसेमंद एप्लिकेशन की मदद से ‘मंगल‑शनि‑विषु’ संहिता देखें। इस क्रम में आप सुनिश्चित कर सकते हैं कि चुना हुआ समय न केवल धार्मिक मानदंडों के अनुरूप हो, बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक लाभ भी दे।
ध्यान रखें, पूजन मुहूर्त केवल बड़े समारोहों के लिये नहीं, बल्कि रोज़मर्रा के छोटे‑छोटे कर्मों – जैसे घर की सफ़ाई, नई चीज़ों की खरीद या नौकरी के महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर – के लिये भी लागू होता है। सही समय में किए गए छोटे‑छोटे कार्य भी बड़े परिणाम देते हैं, क्योंकि ऊर्जा का प्रवाह बिना बाधा के चलता है। यही कारण है कि कई लोग सुबह के ‘ब्रह्म मुहूर्त’ या दोपहर के ‘अपराह्न मुहूर्त’ को विशेष महत्व देते हैं।
आज के डिजिटल युग में, कई ऐप्स और वेबसाइटें स्वचालित रूप से पूजन मुहूर्त निकाल देती हैं, लेकिन हमेशा मूल सिद्धांतों को समझना बेहतर रहता है। पंचांग के मूल तत्व, ग्रहों का प्रभाव और नक्षत्र के अभिव्यक्तियों को जानने से आप किसी भी टूल पर निर्भर रहें या न रहें, सही निर्णय ले पाएँगे। इस ज्ञान को अपने परिवार, दोस्त और सहयोगियों के साथ साझा करना भी एक अच्छा अभ्यास है, क्योंकि शुभ समय पर मिलकर किए गए पूजा से सामूहिक लाभ की संभावना बढ़ जाती है।
नीचे आप इस टैग के तहत विभिन्न लेख, समाचार और विशेष रिपोर्ट पाएँगे जिनमें पूजन मुहूर्त से जुड़े विविध पहलू – जैसे त्यौहारों के मुहूर्त, व्यावसायिक निर्णयों में समय चयन, और स्वास्थ्य लाभ के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इन लेखों को पढ़कर आप अपने दैनिक जीवन में सही समय का उपयोग कर सकते हैं और सकारात्मक बदलाव को महसूस कर सकते हैं। अब आगे देखें कि कौन‑से लेख आपके लिए सबसे उपयोगी हो सकते हैं।
13 अक्टूबर 2025 को अहोर अष्टमी, रवि योग के साथ, 5:53‑7:08 PM के शुभ मुहूर्त में माँ‑बच्चे के स्वास्थ्य हेतु नीरजा व्रत और पूजा का त्योहार।