पूंजीगत लाभ कर: समझें और सही तरीके से बचें
जब आप शेयर, म्यूचुअल फंड या जमीन बेचते हैं, तो सरकार से टैक्स देना पड़ता है। इसे ही पूंजीगत लाभ कर कहते हैं। कई लोग इसे जटिल समझते हैं, लेकिन अगर बेसिक नियमों को समझ लिया, तो परेशानी कम हो जाती है। इस लेख में हम सरल भाषा में बताएंगे कि ये टैक्स कैसे काम करता है और आप कैसे बचत कर सकते हैं।
पूंजीगत लाभ कर क्या है?
पूंजीगत लाभ कर वह टैक्स है जो आपको किसी एसेट (जैसे स्टॉक, प्रॉपर्टी, गोल्ड) को खरीदने के बाद बेचने पर मिलने वाले लाभ पर देना पड़ता है। अगर आप एसेट को कम कीमत पर खरीदकर ज्यादा कीमत पर बेचते हैं, तो उस अंतर को लाभ माना जाता है और उस पर टैक्स लगाता है सरकार।
इस टैक्स को दो हिस्सों में बाँटा जाता है: शॉर्ट‑टर्म (अल्पकालिक) और लॉन्ग‑टर्म (दीर्घकालिक)। शॉर्ट‑टर्म तब लागू होता है जब आप एसेट को एक साल या उससे कम समय में बेचते हैं, जबकि लॉन्ग‑टर्म में एक साल से अधिक समय बीतने पर लागू होता है। दोनों के लिए अलग‑अलग दरें तय होती हैं।
पूंजीगत लाभ कर की दर और बचत के टिप्स
स्टॉक और इक्विटी फ़ंड का लॉन्ग‑टर्म लाभ साधारणतः 10% पर टैक्स किया जाता है, लेकिन अगर आप सेक्शन 80C या 10(38) जैसे एक्सेम्प्शन का फायदा उठाते हैं तो पूरी तरह टैक्स नहीं लगता। शॉर्ट‑टर्म लाभ आपकी वैसिक आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स किया जाता है, यानी 5% से 30% तक।
रियल एस्टेट पर लॉन्ग‑टर्म कर 20% पर, साथ में इंडेक्सेशन यानी मुद्रास्फीति के हिसाब से एडेजस्टमेंट की सुविधा मिलती है। शॉर्ट‑टर्म रियल एस्टेट लाभ आपके आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स होता है।
कैसे बचें? सबसे आसान तरीका है एसेट को एक साल से थोड़ा अधिक पकड़ कर रखना, ताकि शॉर्ट‑टर्म की हाई रेट से बच सकें। दूसरा तरीका है एक्सेम्प्शन का उपयोग करना—जैसे सेक्शन 54(ए) में घर बेचने पर टैक्स छूट या सेक्शन 54 ब्याज वाले बॉन्ड्स में निवेश करके टैक्स बचाव।
गणना के लिए आप खरीद मूल्य, बिक्री मूल्य और खर्च (ब्रोकर फीस, स्टाम्प ड्यूटी) को ध्यान में रखें। फिर शॉर्ट‑टर्म या लॉन्ग‑टर्म के आधार पर सही दर लगाएँ। ऑनलाइन कैलकुलेटर से भी जल्दी पता चल जाता है कि आपको कितना टैक्स देना है।
फाइलिंग की प्रक्रिया सीधी है। जब आप साल के अंत में आईटीआर भरते हैं, तो ‘कैपिटल गैन्स’ सेक्शन में अपने लेन‑डेन का विवरण डालें। अगर टैक्स बाकी है तो ड्यू ट्यूशन के साथ जमा कर दें, या अगर टैक्स अधिक जमा हो गया है तो रिफंड प्राप्त करें।
अंत में याद रखें, टैक्स बचाने के लिए कोई शॉर्टकट नहीं है—सब कुछ कानून के दायरे में करना होता है। अगर आप वैध एक्सेम्प्शन या इंडेक्सेशन का सही उपयोग करेंगे, तो आप काफी बचत कर सकते हैं और दण्ड से भी बचेंगे। तो अगली बार जब आप कोई बड़ी एसेट बेचें, तो इन बातों को ज़रूर याद रखें।