तेलंगाना हाई कोर्ट ने सिनेमा शो में नाबालिगों की लेट-नाइट एंट्री पर लगाई रोक, सरकार को सख्त नियम बनाने के निर्देश
तेलंगाना हाई कोर्ट ने हाल ही में 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। 28 जनवरी 2025 को जारी इस आदेश में, सुबह 11 बजे से पहले और रात 11 बजे के बाद बच्चों के सिनेमा शो में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। न्यायमूर्ति बी विजयसेन रेड्डी ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य सरकार सिनेमा हॉल और मल्टीप्लेक्स के लिए सख्त समय सीमा निर्धारित करने के लिए हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करे।
यह आदेश कथित रूप से टिकटों की बढ़ी कीमतों और लेट-नाइट शो की वजह से दायर याचिकाओं के संदर्भ में आया है, जिसमें कुछ लोकप्रिय फिल्मों जैसे *गेम चेंजर* और *पुष्पा 2* के प्रदर्शन भी शामिल हैं। हाई कोर्ट ने एपी सिनेमा (नियमन) नियमावली 1970 के लाइसेंस शर्त 12(43) का हवाला देते हुए तर्क दिया कि आरंभिक और देर रात के स्क्रीनिंग की समय सीमा पहले से ही निर्धारित की गई है।
यह फैसला दिसंबर 2024 में संध्या थियेटर में एक लाभार्थ शो के दौरान हुए एक दुखद घटना से प्रभावित था, जिसमें भगदड़ मचने के कारण एक बच्चे को चोटें आईं और उसकी मां की मौत हो गई थी। इस घटना ने जनता के हित के खिलाफ स्टैंड लेने के लिए अदालत को बाध्य किया।
हालांकि, इस फैसले का मल्टीप्लेक्स ऑपरेटर्स ने कड़े शब्दों में विरोध किया, उनका कहना था कि इन प्रतिबंधों के कारण उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। उनके विरोध के बाद, 1 मार्च 2025 को, अदालत ने अपने आदेश को अस्थायी रूप से संशोधित किया, जिससे 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चे सभी शो में जा सके, जब तक कि सरकार अपनी ओर से ठोस निर्णय नहीं ले लेती। अगले आदेश की सुनवाई 17 मार्च 2025 के लिए निर्धारित की गई है, जिसमें आगे की रणनीति स्पष्ट हो सकेगी।
Abdul Kareem
मार्च 16, 2025 AT 11:00ये फैसला सही है। बच्चों को रात को सिनेमा में भेजना बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। लोग सोचते हैं कि ये बस एंटरटेनमेंट है, पर असलियत बहुत गहरी है।
Paresh Patel
मार्च 17, 2025 AT 19:48मैं इस फैसले की सराहना करता हूँ। हम सबके बच्चे हैं, हम सबकी जिम्मेदारी है कि वो सुरक्षित रहें। थियेटर वाले डरते हैं कि पैसे कम होंगे, पर बच्चों की जान बचाना ज्यादा जरूरी है।
anushka kathuria
मार्च 18, 2025 AT 19:25यह निर्णय न्यायपालिका के दायरे के भीतर आता है और बाल सुरक्षा के संदर्भ में एक प्रासंगिक और आवश्यक कदम है। राज्य सरकार को अब व्यावहारिक नियमावली तैयार करनी चाहिए।
Noushad M.P
मार्च 20, 2025 AT 13:37ये सब बकवास है। बच्चे क्या हैं निष्क्रिय बन्दर? उन्हें जाने दो, अगर भगदड़ में मर गए तो उनकी गलती। माता-पिता खुद लापरवाह हैं।
Sanjay Singhania
मार्च 21, 2025 AT 18:01इस न्यायिक अभियान में एक गहरा एपिस्टेमोलॉजिकल ट्रांसफॉर्मेशन देखा जा सकता है - बाल अधिकारों के प्रति सामाजिक चेतना का उदय। लेकिन लिबरल इकोनॉमिक मॉडल्स के साथ इसका कॉन्फ्लिक्ट अपरिहार्य है। इसलिए, एक डायनामिक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की आवश्यकता है।
Raghunath Daphale
मार्च 21, 2025 AT 20:34अरे भाई ये सब फिल्म वाले बेचारे हैं 😭 रात को शो बंद कर दिया तो उनका कमाल कैसे चलेगा? बच्चे तो घर पर रहो या फिर अपने बेटे को नियंत्रित करो।
Renu Madasseri
मार्च 23, 2025 AT 10:10मैंने अपने बेटे को इस साल दो बार रात को सिनेमा में ले जाया था। एक बार तो बहुत भीड़ थी और उसमें बच्चे खो गए। इसलिए मैं इस फैसले का समर्थन करती हूँ। अगर सरकार ने एक सुरक्षित घंटे की सूची बना दी, तो हर कोई खुश रहेगा।
Aniket Jadhav
मार्च 25, 2025 AT 02:09सही बात है। रात को बच्चों को बाहर नहीं भेजना चाहिए। मैंने अपने भाई को भी ऐसे ही रोका था। अब तो लोग भी समझ गए हैं।
Anoop Joseph
मार्च 26, 2025 AT 00:44अच्छा फैसला। बच्चों की सुरक्षा सबसे ज्यादा जरूरी है।
Kajal Mathur
मार्च 26, 2025 AT 03:46यह निर्णय न्यायिक अधिकार के अतिक्रमण की ओर जाता है। शिक्षा और नैतिक दिशा-निर्देश के बजाय, राज्य ने व्यक्तिगत अधिकारों पर नियंत्रण लगाने का रास्ता अपनाया है। यह एक लिबरल डेमोक्रेसी के लिए एक खतरनाक प्रेसीडेंट है।
rudraksh vashist
मार्च 27, 2025 AT 23:56मुझे लगता है कि ये फैसला बहुत अच्छा है। मेरे बेटे को भी रात को बाहर जाने से रोकता हूँ। अगर सरकार इसे लागू कर दे तो बहुत अच्छा होगा।