उत्तराखंड में भारी बारिश और तूफानी हवाएं: मानसून तैयारियों की पोल खुली

उत्तराखंड में भारी बारिश और तूफानी हवाएं: मानसून तैयारियों की पोल खुली
20 जून 2025 0 टिप्पणि अनुराधा मेहता

उत्तराखंड में मानसून की पहली बारिश: तैयारियों की असल तस्वीर

उत्तराखंड में 16 जून 2025 की सुबह जब आसमान में काले बादल छाए और पहली बारिश शुरू हुई, तो लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली लेकिन प्रशासन के दावों की असलियत भी उजागर हो गई। उत्तराखंड के कई पहाड़ी और मैदानी इलाकों में तेज बारिश के साथ-साथ 30 से 40 किमी/घंटा की रफ्तार वाली हवाओं और बिजली की चमक के कारण जहां मौसम सुहाना हो गया, वहीं जलभराव और सड़क बाधाओं की घटनाएं भी आ गईं।

गर्मी से जूझ रहे लोगों के लिए तापमान का गिरना सुकूनदायक रहा; दरअसल, कई जिलों में पारा 20°C से 36°C के बीच रहा। लेकिन, जैसे ही तेज बारिश का दौर बढ़ा, कई नगर निकायों की मानसून की तैयारी की पोल भी खुलती चली गई। सबसे बड़ी समस्या जल निकासी की व्यवस्था में नजर आई जहां थोड़े से पानी में ही गलियां और सड़कें पानी से भर गईं और लोगों को आवाजाही में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

आईएमडी का अलर्ट और प्रशासन की चुनौतियां

आईएमडी का अलर्ट और प्रशासन की चुनौतियां

आईएमडी ने राज्य के करीब चार जिलों के लिए पहले ही 'येलो अलर्ट' जारी कर दिया था। स्थानीय प्रशासन ने भी संवेदनशील इलाकों के लोगों को सचेत रहने की सलाह दी। चौंकाने वाली बात यह रही कि कई जगहों पर आपदा राहत दल की तैनाती के बावजूद स्थानीय लोगों तक समय पर सूचना या तत्काल सहायता नहीं पहुँच सकी। सवाल यह भी उठे कि आपातकालीन रिस्पांस के नाम पर अब तक सिर्फ कागजी योजनाएँ ही प्रभावी क्यों हैं?

इस बीच, महाराष्ट्र, गुजरात, कोकण और गोवा में आईएमडी ने भारी बारिश की भविष्यवाणी की, लेकिन उत्तराखंड में मामूली से मध्यम बारिश की ही संभावना जताई गई थी। पहाड़ी इलाकों में अक्सर होते भूस्खलन और अचानक नालों के उफान को देखते हुए विशेष सतर्कता की जरूरत महसूस की गई। पर राहत की बात यह रही कि 16 जून तक कोई बड़ा हादसा या जनहानि की खबर सामने नहीं आई।

  • बारिश के साथ बिजली गिरने की घटनाएँ दर्ज की गईं, लेकिन अब तक किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं आई।
  • शक्तिशाली हवाओं ने पेड़ गिराए और कुछ इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप हो गई।
  • प्रशासन ने जलभराव और फिसलन वाले रास्तों की तुरंत सफाई के निर्देश जारी किए।

IMD की चेतावनी के बाद कई इलाकों में स्कूल-कॉलेज भी अस्थायी तौर पर बंद किए गए। स्थानीय लोगों ने बताया कि बारिश से राहत तो मिली, मगर बारिश के पहले ही दिन नगर प्रशासन की कच्ची तैयारियां सामने आ गईं। गांव-देहात तक में तेज बारिश से कच्चे रास्ते बह गए और खेतों में पानी भर गया। बाजारों में छोटे दुकानदारों को अपनी दुकानों में पानी घुसने से नुकसान उठाना पड़ा।

पूर्व की चूक और तैयारियों की कमी पर अब सवाल उठ रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या हर साल आई इसी बारिश के लिए प्रशासन वाकई में तैयारी करता है या सिर्फ मीटिंग और प्रेस कांफ्रेंस ही होती है? बारिश की असली परीक्षा अब आने वाले दिनों में होगी, जब मानसून पूरी तरह सक्रिय हो जाएगा और परख होगी कि स्थानीय निकाय और प्रशासन की व्यवस्थाएं कितना काम करती हैं।