दार्जिलिंग में भारी बारिश, भूस्खलन व पुल ढहने से 9‑23 मौतें; मोदी‑बनर्जी ने जताया दुःख

जब नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री of भारत ने दार्जिलिंग में हालिया आपदा पर अपनी चिंता जताई, तो उसी समय द्रौपदी मुर्मु, राष्ट्रपति of भारत भी मदद की अपील कर रहे थे। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग सटैण्ड पर लगातार भारी बारिश ने शनिवार‑रविवार के बीच त्वरित भूस्खलन और दुडिया आयरन ब्रिज के ध्वस्त होने का कारण बना, जिससे मृतकों की संख्या 9 से 23 के बीच बदलती दिख रही है। इस त्रासदी में मिरिक (Mirik) के सौरानी, धारा और विष्णु गांव के कई घर बाढ़ में बह गए, सड़कें टूट गईं और दूरस्थ गांवों का संपर्क कट गया।
पिछली बारिश का इतिहास एवं मौसमी संदर्भ
जुलाई‑अगस्त में भारत के उत्तर‑पूर्व भाग में मौसमी बाढ़ की चेतावनी आम तौर पर जारी की जाती है, लेकिन इस साल के जुलाई‑अगस्त की बारिश का स्तर पिछले पाँच वर्षों की रिकॉर्ड्स को भी पार कर गया। दार्जिलिंग जिले के पहाड़ी क्षेत्रों में 24 घंटे में 150 मिमी से अधिक वर्षा दर्ज हुई, जो निचले इलाकों में अचानक जलधारा के बहाव को बढ़ा देती है।
भूस्खलन व पुल ढहने की विस्तृत जानकारी
भूस्खलन की शुरुआत शनिवार दोपहर 2 बजे के बाद मिरिक की पहाड़ियों में हुई। स्थानीय प्रशासन के अनुसार, पहले ही दो स्थानों पर छोटे‑छोटे मिट्टी के तख्ते फिसल गए, जो आगे चलकर बड़े‑बड़े बाढ़‑भरे जलधाराओं का मार्ग बना। उसी समय, दुडिया आयरन ब्रिज—जो मिरिक को सिलीगुड़ी‑कुर्सियांग के साथ जोड़ता है—भारी पानी की धारा के नीचे देह चुरो गई। इस पुल पर उस समय लगभग 30 लोग थे; 9 लोगों की मौत की पुष्टि हुई, जबकि आधे अनजान हैं।
- प्रमुख फेनोमना: भूस्खलन (कम से कम 17 मौतें)
- पुल ढहना: 9 पुष्टि हुई मौतें, 12 संभावित लापता
- प्रभावित गांव: सौरानी (3), मिरिक बस्ती (2), विष्णु (1)
- भूटान की चेतावनी: वांगचू नदी के जलस्तर में 2‑3 फीट वृद्धि
भूस्खलन के कारण कई घर बाढ़ में डूबे, स्कूलों के मुलन के स्कूल परिसर में पानी भर गया और स्थानीय बाजार बंद होना पड़ा। दो अतिरिक्त व्यक्तियों को अभी भी खोजा जाना बाकी है, क्योंकि बाढ़‑पानी अभी भी रुक नहीं रहा।

सरकारी एवं राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
जैसे ही आपदा की सूचना मिली, ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री of पश्चिम बंगाल ने तुरंत क्षेत्र में पहुंचने का आदेश दिया। उन्होंने त्रिनामूल कांग्रेस सरकार के जिला अधिकारीयों को राष्ट्रीय आपदा प्रतिरक्षा योजना (NDMA) के तहत अतिरिक्त संसाधन भेजने का निर्देश दिया।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने नरेंद्र मोदी की ओर से सेंट्रल रिज़र्व फॉर डिसास्टर मैनेजमेंट (CRDM) को तुरंत 5 लाख रुपये की सहायता राशि स्थापित करने की घोषणा की, जबकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष संदेश जारी किया।
स्थानीय जनता पर प्रभाव और सामाजिक दायरा
स्थानीय लोग अब भी आश्चर्य में हैं कि अचानक हुई बाढ़ ने उनके जीवन को कितनी गहराई से बदल दिया। एक 45‑वर्षीय किसान, राजेश काठिक, ने बताया, “हमारी फसलें, हमारे घर, सब कुछ ध्वस्त हो गया। अब रेस्क्यू टीम के बिना हम नहीं रह पाएँगे।” उनकी बात सुनकर राहत कार्यकर्ता तुरंत टेक्डाऊन कैंप स्थापित करने पर क़दम बढ़ा।
भूटान की ओर से जारी बाढ़ चेतावनी ने उत्तर‑पूर्वी बंगाल के जलपाईगुड़ी और कूचबिहार जिलों को भी जोखिम में डाल दिया। इन क्षेत्रों में पहले से ही कई गांव कटाव के कारण बंधक बन चुके हैं, इसलिए प्रशासन ने अतिरिक्त बाढ़‑प्रीवेंटिव डैम और आपातकालीन पनिचर तैयार कर रखी है।

आगे की चुनौतियाँ और संभावित समाधान
भूस्खलन अभी भी जारी रहने की संभावना है, क्योंकि मौसम विभाग ने अगले 48 घंटे में अतिरिक्त 100 मिमी वर्षा की भविष्यवाणी की है। इसलिए, रेस्क्यू टीमों को न केवल मृतकों की पहचान करनी होगी, बल्कि लापता लोगों को खोजने के लिए हवाई ड्रोन भी तैनात करना पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि दीर्घ‑कालिक समाधान में पहाड़ी क्षेत्रों के ढाल स्थिरीकरण, जल निकासी का सुधार और ध्वस्त पुलों के स्थान पर मजबूत स्टील संरचनाओं का निर्माण शामिल है। साथ ही, स्थानीय समुदायों को सतत जल‑संचयन और आपातकालीन निकासी योजना के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
भूस्खलन से सबसे अधिक प्रभावित गाँव कौन‑से हैं?
सौरानी, धारा और विष्णु गाँवों में सबसे अधिक क्षति दर्ज हुई। सौरानी में 3 मौतें निश्चित हुईं, धारा में दो परिवार बाढ़ में फँसे और विष्णु में एक व्यक्ति की मौत हुई। इन गाँवों में कई परिवार अस्थायी शरणस्थलों में रह रहे हैं।
पुल ढहने के बाद किन क्षेत्रों का कनेक्शन टूट गया?
दुडिया आयरन ब्रिज के गिरने से मिरिक से सिलीगुड़ी‑कुर्सियांग तक का मुख्य मार्ग बंद हो गया। इस कारण कई परिवहन सेवाएँ रुक गईं और आपातकालीन वस्तुओं का वितरण कठिन हो गया। प्रशासन ने वैकल्पिक जंक्शन स्थापित करने की योजना बनाई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किस प्रकार की सहायता का वादा किया?
मोदी ने तुरंत सेंट्रल रिज़र्व फॉर डिसास्टर मैनेजमेंट (CRDM) के तहत 5 लाख रुपये की आपातकालीन फंडिंग की घोषणा की, साथ ही राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसियों को अतिरिक्त बचाव कर्मियों और वस्तुओं को भेजने का निर्देश दिया।
भूटान की बाढ़ चेतावनी का दार्जिलिंग की स्थिति पर क्या असर है?
वांगचू नदी के जलस्तर में वृद्धि से उत्तर‑पूर्वी बंगाल के जलपाईगुड़ी और कूचबिहार जिलों में अतिरिक्त बाढ़ का जोखिम बढ़ गया। इन जिलों में पहले से ही निकासी मार्ग बंद हैं, इसलिए स्थानीय प्रशासन ने अतिरिक्त एम्बुलेंस और राहत सामग्री की व्यवस्था की है।
भविष्य में इस प्रकार की आपदाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि पहाड़ी क्षेत्रों में ढाल स्थिरीकरण, उचित जल‑निकासी नेटवर्क, पुराने पुलों का आधुनिकीकरण और स्थानीय समुदायों को सतत आपातकालीन योजना में शामिल करना आवश्यक है। इसके अलावा, मौसम विज्ञान में उन्नत मॉडलिंग से समय पर चेतावनी देना संभव हो सकता है।
vicky fachrudin
अक्तूबर 6, 2025 AT 04:38दरजिलिंग में आई इस आपदा के पीछे मौसमी अतिवृष्टि और भूवैज्ञानिक अस्थिरता दोनों ही कारक हैं, इसलिए प्रथम स्तर पर हमें तेज़ी से निकासी संचालन स्थापित करना चाहिए;
स्थानीय प्रशासन को तत्काल एंकरिंग पॉइंट्स बनाकर राहत सामग्री का वितरण करना चाहिए, साथ ही ड्रोन सर्वेइंग से बचे हुए लोग जल्दी खोजे जा सकते हैं;
साथ ही यह याद रखना ज़रूरी है कि हमारी सामुदायिक सहनशक्ति और एकता ही इस चुनौती का सबसे बड़ा हथियार है, इसलिए पड़ोसियों को मिलकर अस्थायी शरणस्थल स्थापित करना चाहिए।