हरियाणा में तेज बारिश का कहर: 10 जिलों में झमाझम, 9 शहरों में अलर्ट, सांसद किरण चौधरी का घर डूबा
हरियाणा का मौसम बेकाबू: बारिश से जनजीवन ठप, 9 शहर हाई अलर्ट
हरियाणा में मई के आखिर और जून की शुरुआत में मौसम एकदम करवट ले चुका है। कुछ साल पहले तक जून आते-आते यहां भीषण गर्मी पड़ती थी, लेकिन इस बार नजारा अलग है। बीते 24 घंटे में हरियाणा के 10 जिलों में आसमान से ऐसी बरसात बरसी कि सड़कों से लेकर घरों तक सब जलमग्न हो गए। रेवाड़ी, भिवानी, हिसार, रोहतक, झज्जर, फतेहाबाद, सिरसा, सोनीपत, बल्लभगढ़ और कैथल में बारिश की वजह से सड़कें नालों में बदल गईं। प्रशासन ने 9 शहरों को रेड अलर्ट पर रखा है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले 24 घंटों में हालात और बिगड़ सकते हैं।
बारिश का असर सिर्फ सड़कों तक सीमित नहीं रहा। घरों के अंदर तक पानी घुस गया। बीजपी सांसद किरण चौधरी की रेजिडेंस भी कीचड़ और पानी से लबालब हो गई। उनके स्टाफ और परिवार को फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक चीजें बचाने में जूझना पड़ा। आसपास केवें घऱों में हालात ऐसे ही हैं। लोग छतों पर सामान डालकर जैसे-तैसे अपने घर को बचाने की जुगत में हैं।
रोजमर्रा की जिंदगी पर असर, राहत कार्यों में तेजी
बारिश से स्कूलों और ऑफिसों में उपस्थिति कम है। बहुत सारे बच्चों को गीले कपड़ों में ही स्कूल जाना पड़ा, कई जगह छुट्टी कर दी गई। दुकानदारों की भी बिक्री प्रभावित हुई। कुछ दुकानों में तो दो-दो फुट पानी भर गया। अधिकतर अस्पतालों में इमरजेंसी डिपार्टमेंट में बारिश के कारण लाइट चली गई और जेनरेटर सहारे काम चला। छोटे कस्बों में जलनिकासी की सही व्यवस्था न होने से हालात बदतर हो गए।
प्रशासन की टीमें सड़कों से पानी निकालने के लिए मोटर पंप का इस्तेमाल कर रही हैं। फायर ब्रिगेड और नगर निगम के कर्मी लगातार सड़कों और नालों की सफाई में लगे हैं। लेकिन टाउन हॉल जैसे बड़े सरकारी भवन भी पानी में फंसे हैं। कई जगहों पर बिजली के खंभे गिर गए, जिससे छोटा-सा इलाका घंटों अंधेरे में रहा।
- भू-भागी इलाकों में किसानों की फसलें खराब होने का डर है।
- हाउसिंग सोसाइटीज में पार्किंग तक पानी पहुंच गया है।
- वृद्ध और बीमार लोगों के लिए इधर-उधर जाना मुश्किल हो गया है।
- प्रशासन ने लोगों से गैर जरूरी जगहों पर बाहर न निकलने की सलाह दी है।
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक बंगाल की खाड़ी से उठा चक्रवाती सिस्टम हरियाणा के ऊपर मंडरा रहा है, जिससे अगले कुछ दिनों तक रुक-रुक कर बारिश जारी रहेगी। सरकार ने हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिए हैं और राहत कार्यों के लिए फंड आवंटित किए हैं। हालात बेकाबू न हों, इसके लिए अफसर चौकस हैं।
Paresh Patel
अगस्त 9, 2025 AT 01:51इस बारिश से पहले हम सब गर्मी की शिकायत कर रहे थे। अब पानी के बहाव से लग रहा है कि प्रकृति ने हमें सबक सिखाना चाहा है। हर साल ऐसा ही होता है, लेकिन इस बार तो बस ज़रा ज़्यादा ही बरस गया।
Kiran M S
अगस्त 10, 2025 AT 11:07ये सब तो बस एक और निर्माण की असावधानी का परिणाम है। हमने नालियों को भूल दिया, सड़कों को बिना ड्रेन के बना दिया, और फिर आश्चर्य होता है कि पानी कहाँ जाता है? ये सिर्फ बारिश नहीं, ये हमारी अवहेलना है।
Raghunath Daphale
अगस्त 11, 2025 AT 01:46अब तो बारिश हो गई तो बस इंतज़ार है कि कौन सा सांसद अपना घर बचाने के लिए ट्वीट करेगा 😅
Renu Madasseri
अगस्त 12, 2025 AT 18:48मैं रोहतक से हूँ। हमारे इलाके में तो स्कूल बंद हैं, लेकिन अस्पताल में जेनरेटर चल रहा है। बुजुर्गों के लिए दवाइयाँ बहुत ज़रूरी हैं। अगर कोई डॉक्टर या फार्मेसिस्ट यहाँ आए तो बता दें, हम लोगों को मदद करने में खुशी होगी।
Sanjay Singhania
अगस्त 13, 2025 AT 11:24इस घटना का गहरा अर्थ ये है कि हमारी शहरी अर्थव्यवस्था एक एंट्रोपी-आधारित सिस्टम में फंस गई है - जहाँ इंफ्रास्ट्रक्चर का डिग्रेडेशन अस्थायी जलवायु अस्थिरता के साथ एक नेगेटिव फीडबैक लूप बना रहा है। हमें रिसिलिएंट यूर्बन प्लानिंग की ज़रूरत है, न कि बस बारिश के बाद पंप लगाने की।
Noushad M.P
अगस्त 15, 2025 AT 05:20बारिश हो रही है तो भी सरकार का कुछ नहीं हो रहा। लोगों के घर डूब रहे हैं और आधिकारिक ट्वीट तक नहीं आया। ये तो बस नेताओं का नाटक है। अब तो बस खुद का ख्याल रखो।
Archana Dhyani
अगस्त 15, 2025 AT 07:49ये बारिश का सिर्फ एक अस्थायी प्रभाव है, लेकिन इसके पीछे छिपा है एक गहरा सामाजिक-आर्थिक असमानता का संकट। जिन लोगों के पास बेसमेंट वाले घर हैं, जिनकी आय दिन के आधे घंटे के लिए है, उनके लिए ये बारिश एक अप्रत्याशित विनाश है। हम जो जलवायु आपातकाल की बात करते हैं, वो तो सिर्फ एक अमीरों का ट्रेंड है - जबकि वास्तविकता में गरीब आदमी अपने घर के छत पर बैठा है और उसकी बेटी का बच्चा बीमार है।
anushka kathuria
अगस्त 16, 2025 AT 14:39मौसम विभाग की चेतावनी अच्छी थी। लेकिन राहत कार्यों में देरी हुई। अगर नालियों की सफाई और ड्रेनेज के लिए वार्षिक बजट निकाला जाता, तो आज ऐसा न होता। सरकारी योजनाओं का असर देखने में सालों लगते हैं।
Aniket Jadhav
अगस्त 17, 2025 AT 09:45मैंने अपने दोस्त के घर जाकर देखा - उनकी पार्किंग में पानी दो फुट तक था। लेकिन उन्होंने अपने बारे में नहीं बताया, बल्कि आसपास के बुजुर्गों के लिए रास्ता साफ किया। ऐसे लोग ही असली हीरो हैं।
rudraksh vashist
अगस्त 17, 2025 AT 18:09कल रात मैंने अपने बेटे को देखा - वो बारिश में घूम रहा था और फोन से बारिश के डेटा ले रहा था। बच्चे तो समझ गए कि ये सिर्फ बारिश नहीं, ये हमारा भविष्य है।
Anoop Joseph
अगस्त 19, 2025 AT 13:37मैं अपने गाँव में हूँ। यहाँ तो बारिश के बाद भी लोग निकल रहे हैं। किसान अपनी फसल देख रहे हैं। शहर तो बस बारिश का शोर कर रहा है।
Kajal Mathur
अगस्त 20, 2025 AT 14:44यह घटना सिर्फ एक बारिश का नतीजा नहीं, बल्कि एक व्यवस्थित असफलता का परिणाम है - जहाँ नागरिक भागीदारी का अभाव, नियमित निगरानी का अभाव, और नीतिगत दृष्टिकोण का अभाव एक साथ जुड़ गया है। इसका निवारण केवल तकनीकी समाधानों से नहीं, बल्कि एक नए नागरिक नैतिकता के साथ संभव है।